संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत के एगो सह-प्रायोजित प्रस्ताव पs एकमत से मुहर लागल बा। एह प्रस्ताव में 21 दिसंबर के विश्व ध्यान दिवस के तौर पs घोषित करे खातिर कहल गइल रहे। सब देस एकरा के सकारत एक तरफ से एकरा पक्ष में वोटिंग कइल।
कव देस ले आइल प्रस्ताव?
एह प्रस्ताव के भारत, लिक्टेन्स्टाइन, श्रीलंका, नेपाल, मैक्सिको आ अंडोरा जइसन देसन के समूह के तरफ से यूएनजीए के 193 सदस्यन के सामने सुक के ले आवल गइल। ई सब देस संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रस्ताव के लेके सब जानकारी साथी देसन के सामने रखलस। लिक्टेन्सटाइन के तरफ से संयुक्त राष्ट्र के पटल पs रखल गइल एह प्रस्ताव के बांग्लादेश, बल्गेरिया, बुरुंडी, द डॉमिनिकन रिपब्लिक, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, मॉरीशस, मोनाको, मंगोलिया, मोरक्को, पुर्तगाल आ स्लोवेनिया के तरफ से सह-प्रायोजित कइल गइल रहे।
भारत प्रस्ताव स्वीकारल गइला पs का कहलस?
एह प्रस्ताव पs मुहर लगला के बाद यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतानेनी हरीश एक्स पs एगो पोस्ट में कहलें, “व्यापक बेहतरी आ आंतरिक परिवर्तन के दिन! खुसी बा कि भारत कोर ग्रुप के आउर देसन के संगे मिलके 21 दिसंबर के विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित करे के प्रस्ताव के सर्वसम्मति से अपनावे में मार्गदर्शन देलस।” ऊ कहलें कि समग्र मानव कल्याण में भारत के नेतृत्व ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ माने ‘पूरा विश्व एगो परिवार हs’ के मूल सिद्धांत पs आधारित बा।
यूएन में भारत के राजदूत कहलें कि 21 दिसंबर शीत संक्रांति के दिन हs आ भारतीय परंपरा के अनुसार ई दिन ‘उत्तरायण’ के सुरुआत के दिन हs, जवन कि साल के सुभ दिनन में से हs, खास कs के आंतरिक विचारन आ ध्यान लगावे खातिर।
विश्व ध्यान दिवस के संगे एगो खास बात ई जुड़ल बा कि ई 21 जून के पड़े वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से ठीक छव महीना बाद मनावल जाई। विश्व ध्यान दिवस से उलट योग दिवस ग्रीष्म संक्रांति के दिन मनावल जाला। एह तथ्य के जिकिर करत हरीश कहलें कि 2014 में भारत नेतृत्व करत 21 जून के अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर घोषित करवावे में अहम भूमिका निभवले रहे। अब एक दशक बाद विश्व योग दिवस पूरा दुनिया में आम लोगन खातिर योग के ओह लोगन के जिनगी के हिस्सा बनावे के वैश्विक आंदोलन बन गइल बा।