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यायावरी भोजपुरी महोत्सव 2024: भोजपुरी के कमजोर कs के हिंदी मजबूत नइखे हो सकत- बैजनाथ मिश्र

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गोरखपुर। भोजपुरी भाषा के सम्मान, स्वाभिमान आ संरक्षण के समर्पित ‘यायावरी भोजपुरी महोत्सव’ के आयोजन अतवार के गोरखपुर के गोकुल अतिथि भवन में कइल गइल। महोत्सव में भोजपुरी फिल्म अभिनेता कुणाल सिंह के तीसरा ‘यायावरी शिखर सम्मान’ से सम्मानित कइल गइल। झारखंड के पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित रहलें।

अपना संबोधन में ऊ कहलें कि भोजपुरी हमनी के मातृभाषा बा। एह पs हमनी के गरब होखे के चाहीं। ऊ कहलें कि आवे वाला जनगणना के दौरान हमनी सभेके मातृभाषा कॉलम में भोजपुरी के उल्लेख करे के चाहीं। ऊ कहलें कि कइयन बेर हिंदी आ भोजपुरी के बीच विवाद खड़ा करे के प्रयास कइल जाला, ई ठीक नइखे। ऊ कहलें कि भोजपुरी के कमजोर होखला से हिंदियो कमजोर होई। भोजपुरी के कमजोर कs के हिंदी मजबूत नइखे हो सकत।

आठ सत्रन में आयोजित भइल महोत्सव

भोजपुरी महोत्सव आठ सत्रन में आयोजित भइल। समारोह के पहिला सत्र उद्घाटन सत्र रहल। दूसरका सत्र ‘भोजपुरिया एलिट के माई भाषा से नेह छोह पs’ केंद्रित रहल। एह दौरान आईपीएस अधिकारी आ कवि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज आउर संजय शेफर्ड के बीच चरचा भइल। सत्यार्थ अनिरुद्ध कहलें कि भोजपुरी के विकास खातिर अलग-अलग स्तर पs प्रयास करे के जरूरत बा। छोट-छोट संगठन बनाके आ जिम्मेदारियन के देके हमनी के बहुत कुछ बेहतर कs सकत बानी सs। ऊ ई विमर्श रखलें कि भोजपुरी के विकास खातिर का हिंदी से लड़ला के जरूरत बा भा दुनो एक दूसरा के संगे रहके बड़ आ छोट बहिन के तरे विकसित आ पल्लवित हो सकत बा।

तीसरका सत्र में ‘भोजपुरी कथा संसार आ पलायन के सोक गीत पs’ विनिता परमार, प्रवीण कुमार, गौतम चौबे आ धनंजय सिंह के बीच गहिराह परिचर्चा भइल। लेखक लोग कहल कि भोजपुरी के अपना पाठक वर्ग तइयार करे के जरुरत बा।

चउथा सत्र में ‘भोजपुरी किताब के दुनिया : लेखक, प्रकाशक आ पाठक के संबंध’ पs विमल चंद्र पांडेय, चंदन पांडेय, सत्य व्यास आ केशव मोहन पांडेय विमर्श कइल लो। चंदन पांडेय अपना संबोधन में कहलें कि भाषा के जकड़े के ना पकड़े के जरूरत बा। भाषा एकदमे बालू के तरे होला, अगर ओकरा के जैक करे के प्रयास कइल जाई तs ऊ हर बंधन से बाहर निकल जाला। अतीत के गौरव करे के संगे- संगे नवीनता के आत्मसात कs के भोजपुरी विकसित हो सकत बिया। सत्य व्यास कहलें कि भोजपुरी 22 करोड़ लोगन के भाषा हियs, बाकिर भोजपुरी के किताब प्रकाशित करे वाला प्रकाशकन के पर्याप्त मात्रा में पाठक वर्ग नइखे मिल पावत, ई बहुते चिंता के बात बा। प्रकाशक केशव मोहन कहलें कि जदि एगो निश्चित संख्या बल प्रकाशकन के मिल जावs तs ऊ निश्चित रूप से भोजपुरी के जादे से जादे किताबन के प्रकाशन करी लो।

पांचवां सत्र में ‘अकादमिक भोजपुरी से नवकी पौध के नेह पर’ डॉ. क्षमा त्रिपाठी, प्रमोद तिवारी, आनंद कीर्ति तिवारी आ ब्रजभूषण मिश्र सार्थक चरचा कइल लो। एह दौरान बिहार आ उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय में भोजपुरी भाषा के पढ़ाई आ एकरा इतिहास पs चरचा भइल। कहल गइल कि एकरा के आगे बढ़ावे खातिर सरकारी स्तर पs प्रयास करे के आवश्यकता बा।

पंचायत फेम अशोक पाठक से बातचीत करत डॉ. एम के पांडेय

छठवां सत्र ‘भोजपुरिया खाद से फलत-फुलात बॉलीवुड’ रहल। एमें डॉ. एम के पांडेय ‘पंचायत’ फेम अशोक पाठक से बातचीत कइलें। एह दौरान फिल्म इंडस्ट्री में भोजपुरी अभिनेता आ कलाकारन के उपस्थित के लेके विस्तार से चरचा कइल गइल। अशोक पांडेय अपना फिल्मी करिअर और पंचायत वेब सीरीज में अपना भूमिका पs बात कइलें।

सातवां सत्र में भोजपुरी के पहिला साइंस फिक्शन फिलिम ‘मद्धिम’ के प्रदर्शन कइल गइल।

महोत्सव के अंतिम सत्र सांस्कृतिक संध्या के समर्पित रहल। एमे राकेश कुमार के लौंडा डांस, सिसोदिया सिस्टर्स, शालिनी दुबे, आदित्य राजन आ अनन्या सिंह के गायन आकर्षण के केंद्र रहल। महोत्सव के आयोजन समन्वयक गौरव मणि त्रिपाठी बतवलें कि महोत्सव में आइल लोग हमनी के खूब स्नेह आ परेम देले बा।

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