वट सावित्री राखे आला महिला लो खातिर खास बात, जानीं पूजा के विधि

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Vat Savitri Vrat 2022:  हिंदू धरम में वट सावित्री व्रत आ शनि जयंती के बहुत महत्व हs आ अबकी बेर ई दुनु त्योहार 30 मई सोमवारी अमावस्या के दिन पड़ल बा, जवना से एगो खास संजोग बन रहल बा।

ज्योतिष शास्त्र के मोताबिक ई संयोग 30 साल बाद पड़ रहल बा

एह दिन लोग शनि के साढ़ेसाती, ढैय्या औक ग्रह नक्षत्रन के प्रभाव के दूर करे खातिर शनि देव के व्रत राखके विशेष पूजा करेला लो। एही के संगे शादीशुदा महिला लो सौभाग्यवती होखे ला वट सावित्री के व्रत राखेला लो आ एह दिन कइल दान से काlइयन गुना फल मिलेला।

जानी कब आ कइसे राखीं, वट सावित्री के व्रत?

जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन वट सावित्री के व्रत राखल जाला। ई व्रत महिला अपना मरद के लमहर उमिर खातिर राखे ला लो। अबकी बेर अमावस्या 30 मई के पड़ रहल बा. कहल जाला कि जे महिला एह व्रत के पूरा विधि-विधान से करेला लो, ओकरा अखंड सौभाग्य के फल मिलेला।

व्रत पूजा के सामग्री

वट सावित्री व्रत के करे आला महिला लो वट वृक्ष पूजा करे खातिर सावित्री- सत्यवान के प्रतिमा, लाल कलवा, धूप-अगरबत्ती, कच्चा सूत, घी, फल, मिट्टी के दिया, रोली-चावल, सवा मीटर कपड़ा, भीजल चना, सेनुर, पान, नारियल आदि समेत श्रृंगार के सामान ले लेवे।

व्रत के पूजा विधि

वट सावित्री व्रत करे से पहिले महिला लो सबसे पहिले नहाके वट वृक्ष के नीचे सावित्री- सत्यवान के मूति राखे लो आ वट वृक्ष पs जल चढ़ावे लो। एकरा बाद कच्चा सूत के वट वृक्ष पs बांहत गाछ के सात बेर परिक्रमा करे के बा। एही के संगे महिला सावित्री- सत्यवान के प्रतिमा के आगे रोली-चावल, भीगल चना, कलावा, फूल-फल अर्पित करत सावित्री- सत्यवान के कहानी सुने लो।

वट सावित्री व्रत के कुछ खास नियम

एह दिन भुलाइयो के वट सावित्री व्रत राखे आला महिला करिया, बुलू आ और उजर रंग के कपडा ना पहिने लो। एही के संगे एह  रंगन के चूड़ीयो ना पहिने। कहल जाला कि जे महिला पहिला बेर एह व्रत के राख रहल बा, ऊ एकर शुरूआती व्रत अपना नईहर में राखs आ पूजा के समूचा सामग्रीयो ओहिजे के इस्तेमाल करस।

 

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