13 अप्रैल भारतीयन के नरसंहार के गवाह बा, घाव 105 साल बाद भी ताजा बा, आज के इतिहास जानीं
जलियांवाला बाग : जलियांवाला बाग के नरसंहार का रहे? जनरल डायर के रहे? जनरल डायर के का भइल? जलियांवाला बाग के इतिहास का बा? काहे कि जलायनवाला बाग के घटना 13 अप्रैल के ही भइल रहे। जानीं 13 अप्रैल के इतिहास का बा?
हिंदी में जलियांवाला बाग नरसंहार के बारे में : हर साल जब भी 13 अप्रैल के तारीख आवेला त अंग्रेजन के क्रूरता के कहानी फेर से ताजा हो जाला। आज ओह घटना के 105 साल बीत गइल। बाकिर घाव अबहियों हरियर बा । इहे कहानी ह जलियांवाला बाग के। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे दुखद आ क्रूर घटना में से एगो – जलियांवाला बाग नरसंहार के दिन। ओह नरसंहार के दृश्य कइसन होइ एकर कल्पना भी नइखे कइल जा सकत। जलियांवाला बाग के घटना के बारे में संक्षेप में जानि।
एकर कारण रोलेट एक्ट बतावल जाता। इहे रहे अंग्रेजन के भारतीयन के खिलाफ ‘काला कानून’। रोलेट एक्ट 1919 के लागू होखे के बाद के घटनाक्रम निम्नलिखित रहे-
महात्मा गांधी 6 अप्रैल 1919 से अहिंसक सविनय ‘ अवज्ञा आंदोलन’ शुरू कइले।
9 अप्रैल 1919 के दू गो प्रमुख नेता सत्यपाल आ सैफुद्दीन किचलू के गिरफ्तार कर लिहल गइल जवना से पंजाब में अशांति पैदा भइल । देश भर में बड़ पैमाना प विरोध प्रदर्शन शुरू हो गइल।
अंग्रेज मार्शल लॉ लगा देलख ताकि कानून के खिलाफ अइसन कवनो विरोध ना होखे। ब्रिगेडियर जनरल डायर के पंजाब में कानून व्यवस्था संभाले के आदेश दिहल गइल। ओकरा के जालंधर से अमृतसर बोलावल गइल।
रोलेट एक्ट पहिला बिस्व जुद्ध (1914-18) के दौरान सर सिडनी रोलेट के नेतृत्व वाली समिति के सिफारिश प पारित भइल। एह अधिनियम के अनुसार भारत में राजनीतिक गतिविधि के दबावे के विशेष अधिकार ब्रिटिश सरकार के दिहल गइल रहे| जवना के तहत कवनो आदमी के बिना कवनो मुकदमा के दु साल तक हिरासत में लिहल जा सकत रहे।
13 अप्रैल के का भइल रहे?
13 अप्रैल के बैसाखी के दिन ह। ओह साल भी हजारन लोग अमृतसर पर्व मनावे पहुंचल रहले। जलियांवाला बाग में भी बड़ी संख्या में लोग आइल रहले। एह दिन एहिजा एगो राजनीतिक कार्यक्रम भी होखे वाला रहे। भीड़ निहत्था रहे। शांति से जुटल रहले। तब भी बिना कवनो चेतावनी के ब्रिगेडियर जनरल डायर के नेतृत्व में 90 गो ब्रिटिश सैनिकन के टुकड़ी उहाँ पहुंच गइल| निकास के रास्ता बंद हो गइल रहे।
गोली अंधाधुंध चले लागल
डायर अपना सैनिकन के भीड़ प अंधाधुंध गोलीबारी करे के आदेश दिहले । डायर कहले- जहाँ-जहाँ लोग दिखे उहाँ फायरिंग करत रहऽ। करीब 10 मिनट तक गोली चलल। बहुत लोग भागे के कोशिश कइले। बाकिर असफल हो गइले । गोली से बचे खातिर बहुत लोग पास के कुआं में कूद गइले। तबहूँ जान ना बचावल जा सकत रहे।
आज भी गोली के निशान बा
मानल जाला कि ओ दिन 1000 से जादा भारतीय के गोली मार के हत्या क दिहल गइल। हालांकि अंग्रेज सरकार इ आंकड़ा मात्र 379 के देले बिया। आज भी जलियानवाला बाग के दीवार पर ओह गोली के निशान मौजूद बा।
जलियांवाला बाग नरसंहार के का नतीजा रहे?
एह नरसंहार के निंदा खाली भारत में ना बलुक पूरा दुनिया में भइल । देश के स्वतंत्रता संग्राम में इ एगो मोड़ साबित भइल। भारत भर में व्यापक आक्रोश फैल गइल। भारी विरोध प्रदर्शन भइल। अंग्रेज के शासन खतम करे के आह्वान भइल।
एह घटना के जांच हंटर कमीशन कइलस जवन डायर के हरकत के आलोचना कइलस । बाकी ओकरा के सीधा जिम्मेदार ना ठहरावल गइल। डायर के एकमात्र सजा मिलल कि उनका के अपना पद से हटा दिहल गइल आ रिटायर होखे के कहल गइल ।
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