Sarojini Naidu B’day: सरोजिनी नायडू के काहे समर्पित हs राष्ट्रीय महिला दिवस

सरोजिनी नायडू

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भारत में 13 फरवरी के राष्ट्रीय महिला दिवस मनावल जाला आ ई दिन स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के जनमदिन पर मनावल जाला जेकरा के देश के नाइटिंगेल कहल जाला। देश खातिर सरोजनी नायडू के अतुलनीय योगदान के सम्मान में सरोजनी नायडू के जन्मदिन के राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनावल जाला। सरोजनी नायडू ओह घरी महिला के जागरूक करे के काम कइली जब देश अंग्रेजन से आजादी पावे खातिर संघर्ष करत रहे। सरोजनी नायडू देश के बहुत महिला के स्वतंत्रता संग्राम में भागिदारी देवाए के काम कईली।

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सरोजनी नायडू के ना खाली स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानल जात रहे बलुक उत्तर प्रदेश के पहिला महिला राज्यपाल भी रहली। 1925 में उनुका के कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनावल गईल। भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका के चलते अंग्रेज उनुका के 21 महीना तक जेल में रखले रहले। उs भारत के पहिला महिला राज्यपाल भी रहली।

सरोजिनी नायडू के जनम 13 फरवरी 1879 के हैदराबाद के बंगाली परिवार में अघोरनाथ चट्टोपाध्यायन के घर में भइल रहे। बचपन से ही पढ़े-लिखे में निपुण रहली आ कविता लिखे के शौकीन रहली। 12 साल के उमिर में मैट्रिक के परीक्षा पास कइला के बाद 16 साल के उमिर में लंदन आ कैम्ब्रिज चल गइली।

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सरोजनी नायडू भारत लवटला के बाद जल्दिये एगो कुशल वक्ता के रूप में मशहूर हो गईली। भारत के आजादी के संगे उs महिला अधिकार अवुरी खास तौर पs महिला के शिक्षा खातीर मजबूत आवाज उठवली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आ 1906 में कलकत्ता में भारतीय सामाजिक सम्मेलन में इनके संबोधन के बहुत सराहना भइल।

बाढ़ पीड़ितन खातिर सरोजनी नायडू के कइल काम के चलते उनुका के 1911 में कैसर-ए-हिंद पदक दिहल गइल, जवना के बाद में ऊ 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में वापस कs दिहली। 1914 में इंग्लैंड में गांधीजी से उनकर मुलाकात भइल, जेकरा बाद उनका में देश के सेवा के एगो नया उत्साह जागल।

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सरोजनी नायडू 1917 में महिला भारत संघ के सह-संस्थापक रहली, एही साल उs अपना दोस्त एनी बेसेंट के संगे मिल के लंदन में सार्वभौमिक मताधिकार के समर्थन में दिहल भाषण से दुनिया के प्रभावित कईली। 1916 में उs लखनऊ पैक्ट के समर्थन कईले, जवन कि ब्रिटिश राजनीतिक सुधार खातीर हिन्दू-मुस्लिम के मांग के संयुक्त मसौदा रहे।

अपना वक्तृत्व कौशल के चलते सरोजनी नायडू 1925 में कानपुर कांग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष चुनल गईली। इs पद पावे वाली उs दूसरा महिला अवुरी पहिला भारतीय महिला रहली। गांधीजी के हर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेत रहली आ आंदोलन के महिला मोर्चा के भी कमान संभालत रहली। नमक सत्याग्रह में महिला लोग के सहभागिता खातिर गांधीजी के मनावे में भी उनकर भूमिका रहे।

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