भोजपुरी गजल: मनोज भावुक के दुगो गजल
मनोज भावुक के गजल
दर्द उबल के जब छलकेला गजल कहेलें भावुक जी
जब-जब जे महसूस करेलें उहे लिखेलें भावुक जी
टुकड़ा-टुकड़ा, किस्त-किस्त में जीये-मुयेलें भावुक जी
जिनिगी फाटे रोज-रोज आ रोज सियेलें भावुक जी
अपना जाने बड़का-बड़का काम करेलें भावुक जी
चलनी में पानी बरिसन से रोज भरेलें भावुक जी
हिरनीला बउराइल मन भटकावे जाने कहाँ-कहाँ
गिरत-उठत अनजान सफर में चलत रहेलें भावुक जी
कुछुओ कर लीं, होई ऊहे, जवन लिखल बा किस्मत में
इहे सोच के अक्सर कुछुओ ना सोचेलें भावुक जी
आँच लगे जब कस के तब जाके पाके कच्चा घइला
अइसे दुख के दुपहरिया में जरत रहेलें भावुक जी
पटना, दिल्ली, बंबे, लंदन अउर अफ्रीका याद आवे
जिनगी के बीतल पन्ना जब भी पलटेलें भावुक जी
जिक्र चले जब भी बसंत के हो जालें बेचैन बहुत
आँख मूंद के जाने का-का याद करेलें भावुक जी
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हजारो सपना सजा के मन में चलत रहेलें मनोज भावुक
गिरत रहेलें, उठत रहेलें, बढ़त रहेलें मनोज भावुक
एह जिंदगी के सफर में उनका तरह-तरह के मिलल तजुर्बा
ओमें से कुछ के गजल बना के कहत रहेलें मनोज भावुक
ऊ जौन भोगलें, ऊ जौन देखलें, ना भोगे आगे के नस्ल ऊ सब
एही से आपन कथा-कहानी लिखत रहेलें मनोज भावुक
के भाई कहके बनल कसाई, के गोद लेके करेज कढ़लस
उठा के एल्बम चिन्हें के कोशिश करत रहेलें मनोज भावुक
बा दर्द एतना अधिक कि जाने कहां अँटावस एह छोट दिल में
एही से ओके गजल में अपना भरत रहेलें मनोज भावुक
ना जाने केकरा से गप करेलें ई बंद कमरा में बुदबुदा के
केहू ना बूझे, हिया के घड़कन सुनत रहेलें मनोज भावुक
दुआर-अंगना टहल-टहल के, गजल कहे के लकम बा लागल
कहेला घर भर कि कादो-कादो बकत रहेलें मनोज भावुक
एने जरत बाटे ‘रोम’, ओने महल में ‘नीरो’ सुनत बा बंसी
लगेला ओइसे गज़ल में अपना झुमत रहेलें मनोज भावुक
करेलें कोशिश गजल लिखे के मगर अभी ले लिखे ना आइल
बस आदतन ही कलम उठा के घिसत रहेलें मनोज भावुक
मनोज भावुक जी के परिचय-
भोजपुरी खातिर आपन जिनगी समर्पित कs देवे वाला मनोज भावुक जी प्रख्यात साहित्यकार, फिल्म समीक्षक, भोजपुरी सिनेमा के इतिहासकार, संपादक, सुप्रसिद्ध कवि आ टीवी पत्रकार हईं। लगभग एक दशक तक अफ्रीका आ यूके में बतौर इंजिनियर सेवा देला के बाद मनोज जी पूरा तरह से मीडिया से जुड़ गइनी अउर महुआ, अंजन, हमार टीवी, ज़ी टीवी, टाइम्स नाउ, न्यूज 18 समेत कइयन गो चैनलन में वरिष्ठ पद पर काम कs चुकल बानी। मनोज जी के गजलन आ गीतन में जिनगी के सच्चाई छुपल रहेला।
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