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जगन्नाथ रथ यात्रा 2022: रथ यात्रा 1 जुलाई के, भगवान जगन्नाथ एकांत में गईले

जानीं एकर महत्व

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14 जून के नौ बजे भगवान के दरवाजा बंद हो गईल बा। भगवान एकांत में चल गईल बाड़े। 30 जून के रात 9 बजे दरवाजा खोलल जाई। एक जुलाई के उ अपना श्रद्धालु लोग के आपन दर्शन दिहे। 14 जून के ज्येष्ठ पूर्णिमा के अवसर पर जगन्नाथ जी, बलभद्र जी आ सुभद्र जी के 108 घैल पानी से नहा दिहल गइल, एकरा के सहस्त्रधारा स्नान कहल जाला। ए स्नान के चलते तीनो बेमार हो गईल बाड़े, एहसे 14 दिन तक एकांत में रहीहे अवुरी 15 तारीख के दर्शन करीहे।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 

पंचांग के मुताबिक आषाढ़ शुक्ल द्वितीय से जगन्नाथ रथ यात्रा के शुरुआत होखेला। एह साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीया तिथि 30 जून के सबेरे 10:49 बजे से शुरू हो रहल बा, जवन 01 जुलाई के रात 01:09 बजे समाप्त हो जाई। अयीसना में ए साल जगन्नाथ रथ यात्रा 01 जुलाई शुक्रवार से शुरू होई।

यात्रा के महत्व

हिन्दू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 के बहुत महत्व बा। आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दूसरा दिन जगन्नाथ रथ यात्रा निकालल जाला। धार्मिक मान्यता के मुताबिक रथ यात्रा निकालला के बाद भगवान जगन्नाथ के प्रसिद्ध गुंडीचा माता मंदिर में ले जाइल जाला, जहां भगवान 7 दिन तक विश्राम करेले। एकरा बाद भगवान जगन्नाथ के वापसी यात्रा शुरू हो जाला। भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा पूरा भारत में परब नियर मनावल जाला।

यात्रा में भाग लेवे वाला व्यक्ति के इ लाभ मिलेला

भगवान जगन्नाथ (भगवान श्री कृष्ण), उनकर भाई बलराम (बलभद्र) आ बहिन सुभद्रा रथयात्रा के मुख्य देवता हवें। एह रथयात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा 2022) में भाग लेवे वाला भक्त लोग आ भगवान के रथ खींच के, तब ओह लोग के 100 यज्ञ करे के परिणाम मिलेला।

कहल जाला कि एह यात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा 2022) में भाग लेवे वाला लोग के मोक्ष मिलेला। यात्रा में शामिल होखे खातिर देश भर से श्रद्धालु लोग इहाँ पहुंचल बा। स्कंद पुराण में बतावल गइल बा कि आषाढ़ महीना में पुरी तीर्थ में स्नान कइला से सभ तीर्थ के दर्शन करे के सद्गुण फल मिलेला आ भक्त के शिवालोक के प्राप्ति हो जाला।

हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीना के शुक्ल पक्ष के दूसरी तिथि के रथ यात्रा (जगन्नाथ रथ यात्रा 2022) के पर्व मनावल जाला। एह परब के उत्पत्ति के बारे में कई गो पौराणिक आ ऐतिहासिक मान्यता आ कहानी बा। एगो कहानी के मुताबिक राजा इंद्रद्युम्न अपना परिवार के संगे नीलांचल सागर (वर्तमान उड़ीसा क्षेत्र) के लगे रहत रहले।

1952 से भइल रहे रथ यात्रा मेला के शुरुआत

सिलवार जगरनाथ धाम मंदिर में पछिला 1952 ई. से लगातार पूजा हो रहल बा। एह साल पहिला बेर मेला के आयोजन ना कइल जाई. एकर शुरुआत भूरा लाल जैन, जलेश्वर जैन आ मोती महतो कइले रहले. पहिला पुजारी रहे देवकीनंदन पांडेय।

भगवान के दर्शन करे खातिर कई क्षेत्र से पहुंचेला भक्त लोग

हजारीबाग के अलावे चतरा, रामगढ़, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, धनबाद समेत बहुत जिला के लोग सिलवार जगन्नाथ धाम मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन खाती पहुंचतारे। प्रखंड में दारू, सदर, इचक, विष्णुगढ़, तातिझरिया, चर्चू, कटकमडग, कटकमसंदी, बरकत्था के अलावा कई गो प्रखंड से लोग घूमे आई।

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