गीता प्रेस के एगो योजना से बच रहल बा सालाना 1080 पेड़न के जान… का हवे ऊ अनूठा प्रयोग
छोट-छोट आइडिया कई बेर नगदे गहिराह प्रभाव छोड़ जाला। देखे में भलही ई आइडिया आपके बड़ न लागते होखे, लेकिन जब एकर असर दिखsता त एकर महत्ता समझ आवsला। एहलिए, आइडिया कइसन भी होखे, कहीं से भी आवे, एक बेर ओह पर अमल कके देखी, सफलता जरूर मिली।
कुछ अइसने आइडिया पर गीता प्रेस गोरखपुर काम कइलस। आइडिया सफल रहल अउर आज एसे हर रोज 3 पेड़ ले जान बचावल जा रहल बा। महीना के हिसाब लगाइ त 90 अउरी सालाना 1080। ई बचल पेड़ आपके खातिर ऑक्सीजन के निर्माण कs रहल बा, जौन जीवन खातिर सबसे आवश्यक तत्व बा। गोरखपुर के गीता प्रेस अपने अनूठा प्रयोग खातिर जानल जात बा। हालांकि, उनकर प्रयोग साहित्यिक रहल बानें।
सदाचार के जीवन में आत्मसात कइलें के ज्ञान आपके गीता प्रेस के हरेक पुस्तक में मिल जाई। अब गीता प्रेस ज्ञान अउर नीति के उपदेश के आत्मसात भी कइलें। प्रकृति के माता के दर्जा देवे वाली गीता प्रेस के किताबन के ज्ञान अब एह प्रकाशन संस्थान में भी लागू कइल गइल बा। ई अनूठा प्रयोग कइल गइल बा करतन मैनेजमेंट के जरिए। किताबन के कटाई-छंटाई से निकले वाली कतरन के प्रोसेसिंग के अइसन शानदार व्यवस्था कइल गईल बा, जौन बड़ प्रकाशन संस्थानन खातिर सीख बा।
कतरन से बनल रद्दी के बेहतरीन प्रासेसिंग से दोबारा छपाई योग्य बनावल जाए वाले कागज के तकनीक गीता प्रेस के घाटा के कम कइलें में मदद कइलें बा। उहवें, एह प्रयोग से हर रोज तीन पेड़ के जीवन भी बचावल जा रहल बा।
रोजाना होला 15 हजार पुस्तकन के छंटाई
गीता प्रेस गोरखपुर में हर रोज करीब 15 हजार पुस्तक के छंटाई के
जात रहे। एह कटाई-छंटाई से एक निकले वाली कतरन के एक टुकड़ा भी नीचे जमीन पर नाइ गिरे दिहलें रहे। एकरे खातिर प्रकाशन संस्थान की ओर से विशेष प्रणाली विकसित कइल गईल बा। एह प्रणाली के तहत कटिंग-बाइंडिंग सेक्शन से ले के गोदाम ले सक्शन पाइप बिछावल गइल बा। ई पुस्तकन से निकले वाले हरेक रेशेनुमा कतरन के खींच लेला। सब कतरन के गोदाम ले पहुंचा दिहल जाला।
प्रकाशन संस्थान के ओर से कागज के बर्बादी के रोके खातिर कई उपाय कइल गइल बा। छपाई में खराब भइल कागज आ रील लादे के दौरान ट्रक पर लगावल गइल कागज आ फेर दफ्ती, सीटफेड मशीनन से निकलल कतरन, जेके गोदाम ले पहुंचवलें के जिम्मेदारी कर्मचारियन के हवें।
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