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बदरीनाथ धाम के कपाट आज होई बंद, इहां जानीं कपाट बंद होखे के पूरा प्रक्रिया

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देहरादून। उत्तराखंड इस्थित प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर, 2024 के शीतकाल खातिर बंद हो जाई। हर साल के तरे अबकियो साल एह ऐतिहासिक आयोजन के बड़ धूमधाम आ सरधा के संगे सम्पन्न कइल जाई। ई दिन बदरीनाथ के भक्तन खातिर विशेष महत्व रखेला, काहेकि एह दिन मंदिर के कपाट बंद होला आ भगवान बदरीविशाल शीतकाल खातिर मंदिर के गर्भगृह में विश्राम करेलें।

कपाट बंद होखे के प्रक्रिया

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होखला के प्रक्रिया के लेके हर साल विशेष आयोजन कइल जाला। सनीचर के पंज पूजा भइल। एकरा बाद मां लक्ष्मी के पूजा होई। एह दिन माता लक्ष्मी के कड़ाही के प्रसाद के भोग अर्पित कइल जाई आ फेर देवी लक्ष्मी से भगवान बदरीनाथ के गर्भगृह में विराजमान होखे के प्रार्थना कइल जाई।

मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी के भूमिका

एह प्रक्रिया में मुख्य भूमिका रावल अमरनाथ नंबूदरी के होला, जे स्त्री भेष धारण कs के माता लक्ष्मी के श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करेलें।एकरा बाद उद्धव आ कुबेर जी के प्रतिमा मंदिर परिसर में ले आवल जाला। एकरा बाद के गतिविधि निर्धारित समय पs कइल जाला।

17 नवंबर के रात्रि कपाट बंद करे के प्रक्रिया सुरू हो जाई। रात 8:10 बजे शयन आरती कइल जाई आ एकरा बाद कपाट बंद करे के अंतिम प्रक्रिया सुरू होई। रात नव बजे तक भगवान बदरीविशाल के माणा महिला मंडल के ओर से तइयार कइल गइल घृत कंबल ओढ़ावल जाई। ठीक 9 बजके 7 मिनट पs सुभ मुहूर्त में भगवान के कपाट शीतकाल खातिर बंद कs दिहल जाई।

पूजा आ आराधना

एह दौरान आज भोर में 4 बजे ब्रह्म मुहुर्त में मंदिर के खोलल गइल। नियमित पूजा के तरे साढ़े चार बजे से अभिषेक पूजा भइल आ दिन के भोग अर्पित कइल गइल। दिन भर मंदिर में दर्शन होत रही, बाकिर संध्या 6:45 बजे से कपाट बंद करे के पूजा सुरू हो जाई। लगभग एक घंटा बाद साँझ 7.45 बजे मुख्य पुजारी माता लक्ष्मी जी के मंदिर के अंदर प्रवेश करइहें। एकरा बाद रात्रि 8:10 बजे शयन आरती होई आ फेर कपाट बंद करे के प्रक्रिया सुरू हो जाई।

कपाट बंद होखला के बाद के यात्रा

कपाट बंद होखला के बाद 18 नवंबर के योग बदरी पांडुकेश्वर खातिर प्रस्थान करिहें। ई यात्रा शीतकाल के दौरान बदरीनाथ धाम के तरफ से रहेला, बाकिर धार्मिक परंपरन के पालन करे खातिर इहां के पुजारी आ आउर लोग आपन  नियमित यात्रा करत रहेला लो।

विशेष धार्मिक महत्व

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करे के ई आयोजन ना खाली धार्मिक महत्व रखेला, बलुक ई क्षेत्रीय संस्कृति आ परंपरन के अहम हिस्सा बा। हर साल, एह दिन के आसपास हजारन श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचेला, ताकि ऊ एह पवित्र आयोजन के हिस्सा बन सके लो।

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