धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा नदी में स्नान करे वाला आदमी अपना पाप से मुक्त होके मोक्ष के प्राप्ति करेला।
हर साल बैसाख महीना के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि के दिन गंगा सप्तमी मनावल जाला। अबकी बेर 14 मई मंगल के दिने गंगा सप्तमी मनावल जा रहल बा । सनातन धर्म में गंगा नदी के बहुत पवित्र नदी मानल जाला। धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा नदी में स्नान करे वाला आदमी अपना पाप से मुक्त होके मोक्ष के प्राप्ति करेला। गंगा सप्तमी के दिन विधिवत माँ गंगा के पूजा शुभ मानल जाला। गंगा सप्तमी काहे मनावल जाला आ एकर पूजा विधि का बा, ई जानी ।
पंडित जी गंगा सप्तमी प पुष्य नक्षत्र में पीएम मोदी के नामांकन के महत्व बतवले आ ए दिन के खासियत भी।
गंगा सप्तमी कब आ काहे मनावल जाला?
हिन्दू कैलेंडर के मोताबिक गंगा सप्तमी हर साल वैशाख महीना के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि के मनावल जाला जवन अबकी 13 मई 2024 के सोमार के दुपहरिया 2:50 बजे से शुरू हो रहल बा आ 15 मई 2024, बुधवार के सबेरे 4:19 बजे समाप्त होई। उदिय तिथि के अनुसार 14 मई के गंगा सप्तमी मनावल जा रहल बा।
धार्मिक ग्रंथ के मोताबिक माता गंगा पर्वत राजा हिमालय आ देवी मैना के बेटी हई। एगो लोक मान्यता बा कि माई गंगा देवी पार्वती के बहिन हई। एगो लोक मान्यता बा कि माता गंगा सबसे पहिले भगवान ब्रह्मा के कमंडल में निवास करत रहली आ वैशाख महीना के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि के दिन भगवान ब्रह्मा के कमंडल से बहरी निकलली। एही समय से ई तिथि गंगा सप्तमी के रूप में मनावल जाला।
गंगा सप्तमी पूजा विधि
14 मई यानी गंगा सप्तमी के सबेरे उठ के नहाए आदि। एकरा बाद दाहिना हाथ में चावल पानी लेके व्रत के प्रण ले लीं।
अब पूजा कक्ष के सामने लकड़ी के खंभा प लाल कपड़ा पसार के देवी गंगा के चित्र, प्रतिमा चाहे गंगाजल लगाई।
अब देवी के मूर्ति के फूल चढ़ा के कुमकुम लगा के शुद्ध गाय के घी के दीप जरा के हाथ जोड़ के नमन करीं।अब माई गंगा के सोलह गो श्रृंगार अर्पित करीं। एकरा बाद देवी गंगा के प्रसाद चढ़ा के अंत में संस्कार के अनुसार आरती करीं।
अंत में अपना कवनो गलती खातिर देवी गंगा से माफी मांगीं।
(Disclaimer : इहाँ दिहल जानकारी सामान्य मान्यता आ जानकारी पर आधारित बा। खबर भोजपुरी एकर पुष्टि नइखे करत।)
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