आजु ह सारण भोजपुरिया समाज के स्थापना दिवस, जानीं कइसे तय भइल बा आजु ले के सफर
जानीं सारण भोजपुरिया समाज के संस्थापक बिमलेन्दु भूषण पाण्डेय के जुबानीं
सारण भोजपुरिया समाज के स्थापना आज से ठीक चार वरिस पहिले भइल रहे। एह समाज के स्थापना के कुछ अलग उद्देश्य रहे। जवना में भोजपुरी साहित्य में लोक परम्परा के जीवंत राखल, भोजपुरी साहित्य में अश्लीलता के जड़ से मिटावल आ जे भी पूरनका भोजपुरी साहित्य सेवी भी रहलन वो सभ केहू के पहचान कइल, उहाँ लोग के मान -सम्मान दिहल आ संगे संगे उहाँ सभन के एकहक़ गो प्रतिमा भी स्थापित कइल। कुछ कुछ काम के क्रियान्वयन त बखूबी हो रहल बा आ कुछ काम के सुरुवात भी जल्दिये हो जाई।
एह पिछल्का चार वरिस में इ समाज एगो अति पारदर्शी भोजपुरी आँगन के निर्माण में लागल बा जवना में अनेक भोजपुरी विद्या वाला फूल खिलल शुरू हो गइल बा आ एकर खुशबु भी महके के मिल रहल बा। युवा रचनाकार भी आपन कीमती समय देके अपना पुरखा पूरनिया के जीवंत बना रहल बारन संगे संगे पूरनका रचियता विद्वत जन भी युवा पीढ़ी पर आपन सब कुछ लुटा के ओकरा के सही दशा दिशा दे रहल बारन।
सारण भोजपुरिया समाज के एगो सवांग अनिल कुमार दुबे ” अंशु ” जे मूल रूप से भोजपुरी गजल /गीतकार हई, उहाँ का भोजपुरी के प्रसार / प्रचार खातिर एगो कालम भोजपुरी में गद्य विधा में ” सीधा बतकही ” का नाम से प्रतिदिन लिख रहल बानी! अभी तक सीधा बतकही के संख्या करीब करीब 450 से अधिक हो गइल बा! उहाँ के ई प्रयास सतत स्तुत्य बा! सभका से हमार ई निहोरा बा कि भोजपुरी के समग्र विकास खातिर आलोचनात्मक प्रवृति के त्याग करके कुछ ना कुछ भोजपुरी के कवनो भी विधा में लिखल जाव आ जवन भी संस्था अपना पसंद के होखे ओह में प्रतिदिन डालल जाव!
हाँ एगो अउर बात, भोजपुरी में जवन पुस्तक छप गइल बा, ओह पुस्तक के रचनाकार भी पटल पर आ रहल बानी आ वोह पूरा पुस्तक के सस्वर पाठ कर रहल बानी! एह पाठ का क्रम में अपना अपना छपल पुस्तक के पटल पर सस्वर पाठ करेवाला में श्री मार्कण्डेय शारदीय जी, डॉ जौहर सफ़ियावादी जी, श्री शुभनारायण सिंह ‘ शुभ ‘ जी, डॉ रजनी रंजन जी आदि अनेक रचनाकार सभे बानी!
सभका से पुनः निहोरा बा कि भोजपुरी में छपल किताब के लेके पटल पर आइल जाव, सस्वर पाठ कइल जाव, आ भोजपुरी माई भाषा के विकास में अपनों भी कुछ सहभागिता सुनिश्चित कइल जाव। अतने ना, जतना भी भोजपुरीया मंच बा, सभकर स्नेह प्यार आ दुलार हमेशा एह परिवार के मिलत आ रहल बा। अतना दिन जल्दी बीत जाई, पता भी ना चलल, इहे सभकर प्यार ह आ दुलार ह। असही प्यार दुलार आ सहयोग मिलत रहो!
सभका के ह्रदय के कोर में बिठा के आभार प्रकट करत बानी। समाज के सभी सवांग के सहयोग के हार्दिक आभार बा ! आगे भी असही सहयोग के अपेक्षा बा ताकि इ समाज आपन उदेश्य के पूरा कर सके।
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