भाई-बहिन के अटूट प्रेम आ आस्था के पर्व रक्षाबंधन गुरुवार अउरी शुक्रवार दुनो दिन मनावल जाई। बहिन लोग दुलार के तार बान्ह के भाई लोग के कलाई पर सजाई।
पंडित शरद चंद्र मिश्र आ पंडित जोखन पांडेय शास्त्री के मुताबिक दिन में भदरा के चलते 11 अगस्त के राखी बान्हल नईखे जा सकत। आजु के दिन रात 8:26 बजे भदरा के समापन हो रहल बा। भदरा के अंत से अगिला दिन यानी 12 अगस्त के सबेरे बहिन लोग अपना भाई के कलाई पर 7.26 बजे तक राखी बान्ह सकेले। विद्वान लोग के इहो मानना बा कि 12 अगस्त के दिन शुभ दिन बा। एह दिन गुड लक योग के गठन भी हो रहल बा। अयीसना में बहिन भी 12 के राखी बान्ह सकताड़ी।
अइसे बन्हाई राखी
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के मुताबिक राखी बान्हत घरी भाई के पूरब भा उत्तर मुंह बईठे के चाही। सबसे पहिले बहिन के अपना अनामिका के अंगुरी से भाई के माथा प रोली के तिलक लगा के अक्षत यानी पूरा चाउर लगावे के चाही। अक्षत अटूट शुभ के प्रतिनिधित्व करेला। एकरा बाद भाई के कलाई प राखी बान्हत घरी उनुका के शुभकामना देवे के चाही। भाई भी अपना बहिन के रक्षा खातिर प्रण लेबे के चाहीं आ ओकरा के उपहार देबे के चाहीं।