Gorakhpur: दु दिवसीय गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के भइल भव्य आयोजन

Minee Upadhyay
गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के भइल आयोजन

गोरखपुर : गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के भव्य आगाज शनिचर सुबेरे 11 बजे भइल. शब्दन के सत्ता विषयक उद्घाटन सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार आ पूर्व अध्यक्ष, साहित्य अकादमी पद्मश्री प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूर्यबाला, वरिष्ठ साहित्यकार शिवमूर्ति आ वरिष्ठ साहित्यकार असगर वज़ाहत बतौर अतिथि वक्ता आपन विचार रखले. एह दौरान अपने संबोधन में पद्मश्री प्रो. विश्वनाथ कहले कि शब्दन के सत्ता सर्वशक्तिमान हs। संसार में विद्यमान हर एगो पदार्थ के सत्तावान बनावे के काम शब्द कइले बा, सृष्टि के कुंजी हs. आचार्य दंडी कहले कि लोक के यात्रा वाणी के प्रताप से होला.राजा भर्तृहरि कहले कि शब्द के बिना लोक में कोई प्रत्यय होही नइखे सकत। शब्दन के बिना संसार के गति थम जाई.’

वरिष्ठ साहित्यकार शिवमूर्ति कहले कि हाल के समय में देश भर में साहित्यिक महोत्सव के आयोजन के प्रवृत्ति सराहनीय रूप से बढ़ल बा। अइसन आयोजन साहित्यकार आ पाठक के मिलन खातिर एगो शुभ अवसर के साक्षी होला। अइसन आयोजन के सबसे बड़ फायदा इ बा कि एकरा से पुच्छविषाणहीनता हो जाला। शब्द ब्रह्म हs आ अविनाशी बा। शब्द के आधार पs आदमी अपना भावनात्मक कल्पना के आयाम देला। सही शब्द आ अनुमानित शब्द में ओतने अंतर होला जतना सूरज आ जुगनू में. हमनी के तय करे के होई कि हमनी के कवना तरह के इंसान के पैदा करब। संवेदनशील व्यक्ति ही संवेदनशील साहित्य के रचना कs सकेला।

डॉ. सूर्यबाला कहले कि हम शब्दन से खूब खेलले बानी बाकिर शब्दन के शक्ति कबो कम ना कइनी. आजादी के शब्दन के ताकत सब शक्तियन से ऊपर बा काहे कि ऊ संघर्षन के सपना से निसृत बा. शब्दन के शक्ति हमनी के विचार परंपरा में रिश्तन के गरिमा के उच्चतम उदाहरण के रूप में झलकत बा जब वचन के पूरा करे खातिर वनवास में जाए के पड़ेला। शब्दन के मर्यादा बहुत दमदार होला।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रभात रंजन दूसरा सत्र में डायरी पेज से लेके डिजिटल प्लेटफार्म ले के विषय के आधार पs आपन अनुभव बतवले प्रभात रंजन वेब पोर्टल जानकीपुल डॉट कॉम के सफर के शुरुआत गांव के पुल बनावे के घटना से भईल . जब पुल लोग के जोड़त बा तs इंटरनेट से हमनी के साहित्य पूरा दुनिया से जुड़ सकेला. पत्रिका के पाठक संख्या घटत दौर में डिजिटल माध्यम पs प्रकाशन के नया लेखकन के झुकाव बढ़ गइल बा. पोर्टल पs छपल साहित्य से लेखक आ पाठक के आजादी आ आनंद मिलेला. पाठक खुल के कमेंट कs सकेलें आ आपन पसंद नापसंद जता सकेलें. हास्य सामग्री के प्रति जनता के सहनशीलता के कमी एकरा के संवेदनशील बना देला।

वरिष्ठ साहित्यकार आ कहानी लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ के कहल बा कि इंटरनेट पs साहित्य के प्रकाशन से डिजिटल क्रांति के साहित्य से जोड़ल गइल बा. एक ओर जहां लोग के लगे किताब रखे के जगह ना रहे, उहें जब लागत रहे कि किताब के बीच हिंदी मर जाए वाली बिया तs दोसरा ओर बदलत दौर में कठिनाई के बीच हिंदी के ई-पत्रिका में लोकप्रियता के एगो नाया स्तर हासिल भईल। डिजिटल युग में लेखक आ संपादक के बीच पारदर्शिता बढ़ल बा। पहिले संपादक लोग साहित्यकारन के रचना में कमी पा के सुधारत रहे। अब सम्पादकीय फिल्टर के दौर लगभग खतम होखे वाला बा. कवनो पत्रिका खराब ना होखे बलुक पाठकन में पढ़े के आदत बढ़ावे आ ओह लोग में रुचि पैदा करे के सीढ़ी हs.

वरिष्ठ साहित्यकार देवेन्द्र आर्य कहले कि सोशल मीडिया आ डिजिटल माध्यम से बहुते रचनाकारन आ ओह लोग के बेहतरीन रचना से जुड़ल सौभाग्य मिलल बा. मोबाइल आ इंटरनेट में लाइब्रेरी के कैप्चर कs लिहले बा. अब बढ़िया सामग्री खोजे आ पढ़े में ढेर मेहनत ना करे के पड़ेला साहित्यकारन में गंभीर लेखन के रुझान बढ़ल बा. हर लेखक लोकप्रिय होखल चाहत बा. साहित्य आ पत्रकारिता के बीच बहुत गहिराह संबंध बा। एह सत्र के संचालन डॉ. आमोद राय कइले रहले. आवे वाला मेहमानन के सम्मानित करत डॉ. उषा कुमार, दिव्येन्दु नाथ श्रीवास्तव अउर शबनम श्रीवास्तव कइले।

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भोजपुरी पत्रकारिता में 2 साल से काम कइला के अनुभव। भोजपुरी में समाचार लिखे के गहिराह जानकारी के संगे फिलिम, मनोरंजन, स्पेशल स्टोरी आदि सेगमेंट्स के खबरन के पढ़े खातिर हमरा संगे बनल रही खबर भोजपुरी पs।
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