भारतीय रंग महोत्सव के पहिला दिन सोमार के दिने बाबा योगी गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में एकलव्य थियेटर देहरादून द्वारा धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध नाटक अंधा युग के मंचन भइल. एह नाटक में महाभारत काल के अंतिम दिन के व्यर्थता आ विनाश के दृश्य के जीवंत कइल गइल। मंच पs मौजूद कलाकार अपना शानदार अभिनय से दर्शकन के मंत्रमुग्ध कs दिहले. नाटक के सबसे बड़ गुण इs रहे कि शुरू से लेके अंत तक दर्शक के आकर्षित करत रहे। नाटक के संवादन में कविता के शानदार प्रयोग भइल जवना के कलाकार लोग बहुते बढ़िया से प्रस्तुत कइल.
अंधायुग नाटक महाभारत युद्ध के बाद के घटना पs केन्द्रित बा, जहाँ युद्ध के व्यर्थता, प्रतिशोध आ अंधता के असर साफ हो जाला। नाटक में धृतराष्ट्र के आन्हर होखे के साथे अउरी पात्रन के अंतरात्मा आ दृष्टि भी खतम हो जाला। अश्वत्थामा के बदला आ गांधारी के कृष्ण पs मौत के श्राप जइसन घटना नाटक के गहिराह आ काव्यात्मक प्रस्तुति के अउरी मजबूत कs देले बा। नाटक के प्रस्तुति के निर्देशन अखिलेश नारायण कइले रहले. नाटक के भव्यता, लाइटिंग, सेट डिजाइन, वेशभूषा आ संगीत एकरा के अउरी रोचक बना दिहलस। कलाकारन में जागृति कोठरी, अखिलेश नारायण, जय सिंह, ऋतिक सिमल्टी, प्रियांशु बिष्ट, हेमलता पांडेय वगैरह के भूमिका बा जे आपन किरदार जीवंत निभवले बा.
कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में कुलपति प्रो. पूनम टंडन, एनएसडी के रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार मोहंती, रवि शंकर खरे, विक्रम चौधरी समेत अउरी अतिथि लोग रंगमंच के महत्व पs प्रकाश डालल. मायापुरी नाटक के मंचन 4 फरवरी मंगल के दिने होखी जवना के निर्देशन अतुल सरकार कइले बाड़न. ई प्रस्तुति बाबा योगी गंभीरनाथ सभागार में शाम 6 बजे होई।
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