उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच के बड़ फैसला आइल बा। OBC आरक्षण पs हाईकोर्ट सरकार के बड़ झटका दिहले बा। जब ले ट्रिपल टेस्ट न होखे तब ले ओबीसी रिजर्वेशन नाइ दिहल जा सकत रहे। राज्य सरकार जल्दी चुनाव करावे। ओबीसी रिजर्वेशन के बिना। हाईकोर्ट 12.15 आर्डर पढ़त ई बड़ बात कहलस। हाईकोर्ट साफ तौर पर कहले बा कि ओबीसी आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट करावल जाव। जब ले ट्रिपल टेस्ट न होखे तब ले अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के बगैर ही चुनाव करावल जाय। हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच करीब 20 दिन ले चलल सुनवाई के बाद ई फैसला दिहले बा।
याचिकाकर्ता संदीप पांडेय कहने कि निकाय चुनाव बहुत जरूरी बा। ओबीसी आरक्षण के बगैर ही तुरंत चुनाव करावल जाव। अइसे में गेंद अब सरकार के पाला में बा कि ऊ या त ओबीसी आरक्षण के बगैर चुनाव करावें या फिर अन्य पिछड़ा वर्ग खातिर ट्रिपल टेस्ट खातिर आयोग गठित कइल जाव। ओकरे सिफारिश के आधार पर आरक्षण दिहल जाय अउऱ फिर चुनाव करावल जाए।
याचिकाकर्ता संदीप पांडेय कहनें कि आजु हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कौनो बहस नाइ भइल। कोर्ट 24 दिसंबर के फैसला सुरक्षित रख लिहले रहे। आजु खाली जज आपन फैसला पढ़नें। अइसे में अगर सरकार ओबीसी आरक्षण के बगैर ही निर्णय़ ले तिया त एससी-एसटी अउर सामान्य सीट के आरक्षण के संगे चुनाव जनवरी में करावल जाय।
अगर सरकार ट्रिपल टेस्ट करावsतिया अउर आयोग गठित करsतिया त 31 जनवरी ले प्रक्रिया पूरा करे के होई। अइसे में आयोग के अनुशंसा के साथ हर जिला में जिलाधिकारी आरक्षण के ले के आपन सिफारिश भेजी। ट्रिपल टेस्ट के तहत सरकार के एगो डेडिकेटेड कमीशन बनावे के होई, फिर ई कमीशन ओबीसी के स्थिति पर आपन रिपोर्ट देई। एह रिपोर्ट के सिफारिश के अनुसार ही हर जिला में नगर निगम, नगरपालिका अउर नगर पंचायत के आरक्षण तय होई।
याचिकाकर्ता संदीप पांडेय के अनुसार, अगर सरकार ओबीसी खातिर ट्रिपल टेस्ट नाइ कराई त ओबीसी के सामान्य जइसन मान के खाली एससी-एसटी आरक्षण के संगे आगे आगे बढ़े के होई।