सम्पन्न भइल वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण मोहन अग्रवाल लिखल उपन्यास ‘प्रोफेसर रामनाथ’ के लोकार्पण समारोह

कुमार आशू

किताबन के लोकार्पण के अवसर पर अक्सर लोग इहे कहत सुनल जानें कि ‘मुंह देखाई’ के अवसर लेखक के कृति के आलोचना करे के नाइ, बलुक लेखक के सराहे के ह। ई विचार कहीं से भी उचित नइखे। अइसे अवसर पर उपस्थित रहे वाले विद्वानन के ‘दुलहिन बोध’ से ऊपर उठ के आपन विचार व्यक्त करे के चाहीं।

इ विचार गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रमुख प्रो. अनिल राय के रहल। प्रो. राय रविवार के प्रेमचंद पार्क में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार केएम अग्रवाल के लिखल उपन्यास ‘प्रोफेसर रामनाथ’ के विमोचन समारोह के संबोधित करत रहले। महानगर में पढ़े-लिखे वाला काफी संख्या में लोग के संबोधित करत उ कहले कि आजकल साहित्यकार के रचना के सोझा पठनीयता के बहुत बड़ संकट बा, लेकिन केएम अग्रवाल के रचना ‘प्रोफेसर रामनाथ’ खुद पढ़ल गइले में सक्षम बा। प्रो. राय भी आपन संबोधन में एह काम के बारे में विस्तार से चर्चा कईले।

एकरा बाद कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. अनंत मिश्रा बहुत विनोदी भाव से कहले कि आदमी ओकरा चेतना के उपज ह। प्रोफेसर रामनाथ के जिनगी के कई गो पेंच एह उपन्यास में लउकत नइखे।

मेट्रोपोलिटन राइटर्स एसोसिएशन, प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन, डेमोक्रेटिक राइटर्स एसोसिएशन आ जन संस्कृति मंच के एह संयुक्त आयोजन में कवि/गीतकार वीरेन्द्र मिश्र दीपक सबसे पहिले महाराजगंज निवासी साहित्यकार के रचनात्मकता आ उनुका सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकार के बारे में वर्तमान समुदाय के अवगत करवले।

एह रचना पर बातचीत के शुरुआत करत वरिष्ठ कवि प्रमोद कुमार अपना संबोधन में उपन्यास लेखन से जुड़ल कई गो महत्वपूर्ण सवाल उठवले आ कहले कि एह संग्रह में जवना तरह से घटना के चित्रण कइल गइल बा ऊ रिपोर्टिंग जइसन बा। जनसंस्कृत मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज कुमार सिंह एह उपन्यास के वर्णनात्मक बतवले। कथाकार रवि राय कहले कि केएम अग्रवाल जौना तरीका से देश के समय के हिसाब से तथ्य के बहुत सरलता से जोड़ले बाड़े, उ अद्भुत बा।

वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी कहले कि याददाश्त के नुकसान के ए दौर में जौना तरीका से 1947 से 2022 तक के घटना के जोड़ल गईल बा, ओकर सराहना होखे के चाही। एह किताब पर चर्चा करत घरी जनवाडदी लेखक संघ गोरखपुर के अध्यक्ष जेपी मल्ल सभका के ध्यान एहमें तथ्यात्मक कमी का ओर खींच लिहलन।

देश के प्रसिद्ध कवि स्वप्नील श्रीवास्तव अपना संबोधन में श्री अग्रवाल के बधाई देत कहले कि कवनो रचना के उद्घाटन के समय विचारक लोग के ओकरा के फाड़े से बचे के चाहीं। अपना संबोधन में भोजपुरी के वरिष्ठ विख्यात साहित्यकार रविन्द्र श्रीवास्तव जुगनी कहलन कि एह रचना के पढ़ला का बाद हमरा लागल कि ई एगो ठेठ बांसगांव के किताब ह।

महानगर के वरिष्ठ कहानीकार मदन मोहन कहले कि इ एगो यथार्थवादी रचना ह, जवना में कवनो घटना के पीछे के घटना के जिक्र नईखे। उ कहले कि श्री अग्रवाल के ए रचना में मध्यम वर्गीय विचार के झलक देखाई देता।

डॉ. वेद प्रकाश पाण्डेय अपना संबोधन में कहले कि कवनो साहित्यकार के रचना के आलोचना कलात्मक भाव से होखे के चाहीं। उ कहले कि आलोचना हर रचनाकार खातिर खाद के काम करेले।

कार्यक्रम के अंत में प्रगतिशील लेखक संघ गोरखपुर के महासचिव भरत शर्मा आवे वाला साहित्यकारन के प्रति आभार जतवले। कार्यक्रम के संचालन वरिष्ठ कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी कइले रहले। एह अवसर पर साहित्यकार /पत्रकार अरुण आदित्य, इप्टा के डा. मुमताज खान, अरुण ब्रह्मचारी, चेतना पांडेय, डा. आनंद पांडेय, भोजपुरी संगम के संयोजक कुमार अभिनीत, कवि निखिल पांडेय, वरिष्ठ कवि अकिंचन जी समेत कई दर्जन कलमकार लोग उपस्थित रहल।

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