कविता तीज के बरतिया (कविता) गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से Aug 29, 2022 हाथवा में मेंहंदी लगाइबि सेनुरा सजाइबि महावर लगाइबि हो करब निर्जल, तीज के बरतिया शिव के मनाइबि हो तीज के बरत, एहवात करे जग में पिया के…
कविता बाबूजी-2 (कविता) मैकश के कलम से Jun 15, 2022 घर के जानल पहचानल अनजान बाबूजी हो गइले जइसे कवनों गाछ पुरान बाबूजी घर आंगन दुआर के लाठी रखवार बाबूजी आन्ही रोकत जइसे माटी के देवार बाबूजी…
कविता घर छोड़ला के बाद (कविता) मैकश के कलम से May 1, 2022 हमरा घर छोड़ला के बाद घर, घर ना किराया के मकान लागेला एगो लइकि बिया जवन ताकत रहेले एक भोरे से एगो औरत बाड़ी जेकर जिनगी में बा इंतजारे लिखल मन…
कविता मनहरण घनाक्षरी (कविता)- गणेश नाथ तिवारी विनायक जी के कलम से Feb 27, 2022 मनहरण घनाक्षरी फगुनी बयार झरे ,लोगवा गुहार करे। धनि मनुहार करे,बाति मोरा मान ली।। बानीं परदेस रवा,चलि आई देस रवा। तनिको ना देर करी,मनवा में ठान…
कविता जे मन मे बा तs प्यार करs (कविता) मैकश के कलम से … Feb 17, 2022 जे मन में बा तs प्यार करs भा सीधा तू इनकार करs
कविता बाबूजी (कविता)- मैकश के कलम से Feb 14, 2022 बात बात प भले, रूस खिसिया जालन बाबूजी बाकी दुख मे जब रहिले त,याद आ जालन बाबूजी केहु देहाती केहु कहे ,पढ़े मे जीरो हवन बाबूजी जे भी बारन हमरा…