कविता माई-बाबूजी (कविता) गणेश नाथ तिवारी ‘विनायक’ के कलम से Jun 16, 2022 बाबू दिन-रात अपना, बचवन के सोंचेले माई मोर लोर कोर,अचरा से पोछेले माई के हियरा,जइसे हउवे गाई बेटवा तs बनि जाला, निपटे कसाई कवनो स्वारथ बिना, बचवा…