गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र सीखी लो आरटीपीसीआर आ जिनोम सिक्वसिंग के जांच
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह कहलें कि शोध के बढ़ावा देवे खातिर विश्वविद्यालय में सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेंशन लैब बनावे के योजना बा। एकरा खातिर चार करोड़ के बजट स्वीकृत कइल गइल बा। सेल्फ फाइनेंस कोर्स के तहत पढ़ाई करे वाला छात्र एह लैब में जांच के तरीका सीखी लो।
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रन के आरटीपीसीआर, पीसीआर, जीन प्रोफाइल के संगे जिनोम सीक्वेंसिंग जइसन जांच सीखे के मिली। एकरा खातिर विश्वविद्यालय परिसर में सेंट्रल इंस्टूमेंटेशन लैब बनी। जवना के विश्वविद्यालय के सेल्फ फाइनेंस के बजट से बनावल जाई, एकर कुल लागत करीब चार करोड़ रुपिया आई।
विश्वविद्यालय प्रशासन लैब खोले खातिर जमीन खोज लेले बा। प्राचीन इतिहास विभाग के बगल में तीन मंजिला भवन बनावल जाई। एमे दु मंजिल में परीक्षा सेंटर होई आ एक तल पs सेंट्रल इंस्टूमेंटेशन लैब रही। एह सेंटर में जांच खातिर सब तरे के मशीन आ उपकरण मवजूद रही। एकरा मदद से सेल्फ फाइनेंस कोर् के छात्र रिसर्च कs सकी लो। संगही साइंस के छात्र लोग के नया तकनीकी के लाभ मिली। एकरा मदद से छात्र आपन पढ़ाई आसानी से पूरा कs सकी लोग।
जिनोम सीक्वेंसिंग के जांच गोरखपुर में अभी तक खाली आरएमआरसी लैब में मवजूद बा। गोरखपुर विश्वविद्यालय में जिनोम सीक्वेसिंग लैब में पढ़ाई के बाद स्टार्टअप के तौर पs जांच के सुविधो सुरू कइल जाई। एसे होखे वाला आय से मेंटेनेंस कइल जाई।
ई सब जांच होई
जिनोम सीक्वेंसिंग, आरटीपीसीआर, क्रोमेटोग्राफी, मेटल ट्रेसिंग, जीआईसी, पीआईसी, इलेक्ट्रोफॉरेसिस, पीसीआर, डीएनए आइसोलेशन, आरएनए आइसोलेशन जइसन टेस्ट आसानी से हो सकी।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश सिंह कहलें कि शोध के बढ़ावा देवे खातिर विश्वविद्यालय में सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेंशन लैब बनावे के योजना बा। एकरा खातिर चार करोड़ के बजट स्वीकृत कइल गइल बा। सेल्फ फाइनेंस कोर्स के तहत पढ़ाई करे वाला छात्र एह लैब में जांच के तरीका सीखी लो। जवना से ओह लोगन के नौकरी मिले में बहुते मदद मिली।
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