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सृजन-संवाद के 111वां गोष्ठी ‘कलाओं की दुनिया’ पs रहल केन्द्रित

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साहित्य-सिने-कला संस्था ‘सृजन-संवाद’ के 111 वां गोष्ठी ‘कलाओं की दुनिया’ पs केन्द्रित रहल। डॉ. विजय शर्मा विश्व रंगमंच दिवस के बधाई देत वक्ता, श्रोता- आ दर्शकन के स्वागत कइनी। उहाँ के बतवनी कि ‘सृजन संवाद’ पिछला 11 बरिस से साहित्य, सिनेमा आ आउर अलग-अलग कला पs कार्यक्रम करत आपन एगो अलगे पहचान बना चुकल बा। आज हमनी के ‘कला की दुनिया’ के  प्रतिभा पs चरचा करे खातिर जुटल बानी सs। ‘कलाओं की दुनिया’ के देहरादून से शशिभूषण बडौनी, जमशेदपुर से रूपा झा, मुंबई से अमृता सिन्हा आ बैंग्लोर से परमानंद रमण ने साकार कइल लो। कहानीकार, साक्षात्कार आ रेखांकन के दुनिया में बसे आला शशिभूषण बडौनी कहनी कि उहाँ के साहित्य के दुनिया में रमल रहनी, लिखल-पढ़ल  करत रहनी। बाक़िर एगो दुर्घटना के बाद एगो लमहर समे ले बिछवना पs सिमट के रहे के पड़ल तs उहाँ के साहित्य के संगे-संगे रेखांकन सुरू कइनी। उहाँ के रेखांकन के संगे ए घरी एक्रिलिको से चित्रांकन कs रहल बानी। सेवानिवृति के बाद से उहाँ के आपन पूरा समे लेखन आ रेखांकन के दे रहल बानी। कोरोना काल में आपन रचना के फ़ेसबुक पs साझा कइनी  तs उहाँ के बहुते सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलल आ एकरा से उहाँ के उत्साह बढ़ल बा। ‘बहुमत’, ‘अक्षर पर्व’, ‘वागर्थ’ जइसन प्रतिष्ठित पत्रिका उहाँ के रेखांकन को प्रकाशित कइले बा।

मधुबनी पेंटर रूपा झा ला ई पहिला मवका रहे जब ऊ अपना कला पs बात करत रहनी। उहाँ के बचपने से  से चित्रांकन के सवख रहे बाकिर बियाह के बाद खाली हाउसवाइफ़ बन के रहत  रहनी। करोना काल में जब चारो ओर तबाही मचल रहे तब परेसानियन के बीचे उहाँ के एकरा पs फेर से काम कइल सुरू कइनी।  काम अच्छा बनल रहे तs उहाँ के पति ओकरा के फ़ेसबुक पs लगा देनी तs तुरंत कइयन गो सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलल। उहाँ  के उत्साह मिलल आ ऊ जोर-शोर से मधुबनी पेंटिंग बनावे में जुट गइनी। कम समेन में उहाँ के प्रदर्शनी में भाग लेवे के मवका मिलल आउर उहाँ के खूब प्रशंसा बटोर रहल बानी। अपना कला के निखार के श्रेय ऊ अपना पति कवि डॉ. आशुतोष झा को देवेनी। रूपा झा आपन  पेंटिंग दर्शकन/श्रोता लोगन के संगे साझा कइनी।

मुंबई के कवयित्री अमृता सिन्हा बचपन से पेंटिंग करत बानी। उहाँ के एह दिशा में बाबूजी आ भाई आउर अब अपना छोट बेटा से खूब सहायता आ प्रोत्साहन मिलेला।स्कूल-कॉलेज के दिनन से प्रदर्शनी में भाग आ  पुरस्कार बटोरती आइल बानी। बियाह आ लईकन के परवरिश के बेरा चित्रकला कुछ समे ला बन रहल लेखन आ कुकरी जारी रहल। अब ऊ फेर से एकरा ओरि लवटल बानी। ऊ  जल, तैल आ एक्रलिक तीनों माध्यम में काम करेनी। उहाँ के कोरोना काल में ऑनलाइन चित्रांकन प्रदर्शनी में भाग लेले बानी आ अब उहाँ के कमीशण्ड कामो मिलत बा।

पहिलका तीनों कलाकार खुद से सिखले बा लो। चउथका वक्ता कवि-मूर्तिकार परमानंद रमण बाकायदे मूर्तिकला के प्रशिक्षण लेले बानी। उहाँ के राष्ट्रीय छात्रवृति मिलल रहे आ उहाँ के बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय से डिग्री लेले बानी आ ए घरी बैंग्लोर के एगो स्कूल में कला शिक्षक बानी। उहाँ के रंगारंग पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन से मूर्तिकला के अलग-अलग पहलुअन पs अंजोर डलनी। नोलिथ, इंश्टॉलेशन, मॉडलिंग आदि के विसे में बहुते महत्वपूर्ण जानकारी देनी। अमृता सिन्हा के सवाल तथा रमण के उत्तरन से एह कार्यक्रम के ई हिस्सा बहुते रोचक हो गइल।

डॉ. विजय शर्मा वक्ता लोगन के परिचय देनी आउर ओह लो के वक्तव्य पs टिप्पणी देत कार्यक्रम के  संचालन कइनी। धन्यवाद ज्ञापन के जिम्मेदारी डॉ. सन्ध्या सिन्हा जी बखूबी निभवनी।

गूगल मीट पs  ‘सृजन संवाद’ के 111 वां गोष्ठी में देश-विदेश से साहित्य-सिने-प्रेमी सामिल भइल लो। कइयन गो पुरान साथी लो  बहुते दिन का बाद कार्यक्रम मे आइल लो।

लखनऊ से डॉ. मंजुला मुरारी, नोयडा से वसुधा मिश्रा, वर्धा से डॉ. सुरभि विप्लवी, बैंग्लोर से पत्रकार अनघा, कलाकार परमानंद रमण, डॉ. सत्यंवदा स्वपनिल, जमशेदपुर से डॉ. आशुतोष झा, गीता दुबे, बीनू कुमारी, खुशबू राय, अर्चना अनुपम, सत्य चैतन्य, राँची से वैभव मणि त्रिपाठी, डॉ. क्षमा त्रिपाठी, बनारस से प्रवीण कुमार सिंह, डॉ. कल्पना पंत, केरल से डॉ. शांति नायर आ आउर लोग  ‘कलाओं की दुनिया’ में भाग लेलस। कार्यकर्म के फ़ोटोग्राफ़ी डॉ. मंजुला मुरारी आ अनघा मारीषा कइल लो।

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