Special story : ईंहों के जानी, ईंहों के पहचानी : वीर कुंवर सिंह गाथा से पहचान बनावे वाली ‘सृष्टि शांडिल्य’
खबर भोजपुरी रउरा सभे के सोझा एगो सेगमेंट लेके आइल बा….एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव वीर कुंवर सिंह गाथा से आपन पहचान बनावे वाली ‘सृष्टि शांडिल्य’ के बारे में..
सृष्टि शांडिल्य के जनम रिविलगंज छपरा में भइल, इनकरी पिता के नाव उदय नारायण सिंह, माई के नाव गीता सिंह हs। बचपन में सृष्टि के गावे के सवख रहे काहे कि घर के माहौल भी संगीतमय रहे। बाकिर धीरे-धीरे सृष्टि जईसे सेयान होत रहली उनकर रुचि पढ़ाई के ओर बढ़ल, छपरा में हाई स्कूल के पढ़ाई कइली आ पटना नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन आ पोस्ट ग्रेजुएट भइली।
सृष्टि के जिनगी में सन् 2019 में एगो अइसन समय आइल जवन उनका आ उनकर परिवार खातिर बहुत मुश्किल भरल रहे। उनकर बाबूजी आ बहिन दुनु के गावे में बहुत रुचि रहे।बाबूजी संगीत के शिक्षक भी हवें आ लोकगीत के बहुत बढ़िया पकड़ भी बा। उनकर छोट बहिन कुंवर सिंह गाथा करत रहली। भोजपुरिया जनमानस पs आपन अमिट छाप छोड़ के ,भोजपुरी के ‘गौरैया’ अचानक 2019 में गोलोक वासी हो गइली। अब एह परिवार के सोझा सबसे बड़ संकट आ चुनौती रहे , कुंवर सिंह गाथा के जिंदा राखल । छोटकी बहिन के निधन के बाद सृष्टि के सोझा बहुत चुनौती आईल काहे की मरत घरी अस्पताल में छोटकी बहिन तीस्ता कहले रहली कि उनुका के मरे मत दींहs, जिंदा रखिहs। तीस्ता के कारवां,उ लेगेसी साथे आगे बढ़ल बहुत मुश्किल रहे बाकिर सृष्टि ओकरा के बड़ा मन से निभवली आ लगभग ओहि तेवर आ कलेवर में भोजपुरिया लोगन के बीच में ऊ आपन बहिन के बीचे छोड़ के गइल काज के लेके गइली। आजू तक ले वीर कुंवर सिंह गाथा के ढेरे जगहा पs मंचन भईल बा आ भोजपुरिया जनमानस एह गाथा के सुनत/देखत घरी अपना आँखिन से लोर के गिरे से ना रोक पावेला । आज जहां ई भी बाड़ी, जवन भी कर रहल बाड़ी, एकर श्रेय खाली अपना छोट बहिन के देवेली। सृष्टि अपना छोट बहिन तीस्ता के कुंवर सिंह गाथा के जिंदा रखले बाड़ी।
अब एह घरी ऊ प्रसार भारती के प्रोडक्शन टीम में बाड़ी आ लोक सेगमेंट से जुड़ल बाड़ी सृष्टि दूरदर्शन से जुड़ला के बावजूद आपन माटी के सुगंध नइखी भुलाइल आ एहमें लगातार काम करत बाड़ी।
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