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Special story : ईंहों के जानी, ईंहों के पहचानी :भोजपुरी चित्रकारी के नवका पीढ़ी से जोड़े वाली ‘राज नंदनी’

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खबर भोजपुरी रउरा सभे के सोझा एगो सेगमेंट लेके आइल बा….एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव भोजपुरी चित्रकारी के क्षेत्र में बड़िया काम कs रहल ‘ राज नंदनी’ के बारे में..

भोजपुरी चित्रकारी के नवका पीढ़ी से जोड़े वाली लोक वाहिका राज नंदनी उर्फ प्रिया सिंह के जनम छपरा (सारण) शहर में भइल। इनकरी बाबूजी के नाव अशोक सिंह आ माता जी के नाव बिंदु सिंह हsl इनकर बाबा राज कुमार के नाव रखल मूल नाव राज नंदनी आ पुकार के छोट नाम प्रिया रखल गइल। नंदनी के जनम बहुत मनवती पs भइल रहे।महादेव आ माई थावे वाली के मनवती के बाद घर में बेटी आइल रहे, लोग बेटा होला पs सोहर बजावन करे लाs.. बाकिर नंदनी के घर में इनकरी जनम पs धूम धाम से सोहर बाजा भइल रहे ।

बचपन से बाबूजी, माई, फुआ, भाई घर के कुल खानदान के गाथा सुनावत बड़ कइल लो। बाबूजी भी एगो बहुत अच्छा चित्रकार रहले, समय के साथे उs आपन कला के बिसरा देने बाकी उनका बेटा बेटी के अंदर चित्रकारी करे के गुन आईल रहे।

परबाबा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज के तरफ़ से जापान में युद्ध कइले, परबाबा के बाबूजी जी अध्यात्म से जुडल रहले ,चित्रकूट में दू बाबा लोग के समाधि ले के महादेव शरण में चल गइले ।

घर के आदमी बाबरी विध्वंस में रहले, ता कोई लिखे में। कैथी में लिखल सुंदरकांड के किताब भोजपत्र पs आजो घर में बा।

राज नंदनी के पालन पोषण आ व्यक्तिव आ प्रेरणा सब उनका खानदान से मिलल बा।शिक्षा के माध्यम शुरू से अंग्रेजी रहल प्रारंभिक शिक्षा छपरा शहर में ही भइल आ उच्च स्तरीय शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से।मेडिकल छात्रा के आर्ट के प्रति रुचि देख सब लोग चकित हाेखेला।नंदनी बचपन से स्कूल बाद-विवाद, भाषण, एह सब में भाग लेते लेते खुद से रचे लगली लिखे लगली, बड़s भाई के आ माई के भरपूर सहयोग आ मनोबल मिलल,धीरे धीरे ओपन माइक मंच मिलsत गइल।

लोक गीत, लोक सभ्यता से जुड़ल रहला से, बचपने से ई देखला के प्रतिफल नंदनी के इs मिलsल की उ आपन कूची के लोक ला समर्पित कs देली। एह जतरा में साथ मिलsला कुशीनगर ज़िला के रहनीवासी आदित्य राजन आ बक्सर जिला के सुधीर मिश्र के, ई आपन एगो भोजपुरी चित्रकारी के यात्रा शुरू कइली। आ शुरुआत कईली *अयपन* के एकरा से लोग जुरत गइल रंग भरात गइल। अयपन के अब तनी मनी सही बाकी लोग जानत बा। भोजपुरी चित्रकारी जइसनो कवनो चीज होला इs अब नयका पीढ़ी जान रहsल बीया । छोट- छोट लईका-लईकी लोग रुचि दिखावत बा बनावत बा ।

नंदनी के लोक रंग के यात्रा के सफ़र बहुत लंबा बा, उद्देश इs बा कि ,लोग जाने भोजपुरिया माटी केतना सम्मपन बा आपन लोक से।

 

 

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