शिव पार्वती विवाह : जब माई पार्वती भूत के समूह देख के डेरा गईली त भोलेनाथ एगो सवाल के जवाब ना दे पवले
शिव पार्वती विवाह : जब माई पार्वती भूत के समूह देख के डेरा गईली त भोलेनाथ एगो सवाल के जवाब ना दे पवल
भगवान शिव बियाह : शिवपुराण में कहल गइल बा कि महाशिवरात्रि ऊ दिन ह जवना दिन महादेव के जनम शिवलिंग के रूप में भइल रहे। एकरा अलावे कहल जाला कि भोलेनाथ के बियाह माता पार्वती से महाशिवरात्रि के दिन भईल रहे, लेकिन ए बियाह से जुड़ल बहुत रोचक बात बा जवना के बहुत कम लोग जानत बाड़े।
शिव पार्वती विवाह कथा : सनातन धर्म में भगवान शिव के देवता के देवता कहल गइल बा। महाशिवरात्रि भगवान शिव के महान पर्व ह। भगवान शिव जी आज के दिन अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। भोलेनाथ के बियाह महाशिवरात्रि के दिन माई पार्वती से भईल रहे। एकर वर्णन हमनी के हिन्दू ग्रंथ आ पुराण में मिलेला। हमनी के भगवान शिव आ माता पार्वती के बियाह से जुड़ल कई गो पौराणिक कथा सुने के मिलेला, जवना में हमनी के एगो रोचक कहानी रउरा सोझा ले आइल बानी जा।
भगवान शिव के पहिला बियाह
शिवपुराण में बतावल गइल बा कि महाशिवरात्रि ऊ दिन ह जब महादेव के जनम शिवलिंग के रूप में भइल रहे जवना के ना त कवनो पक्ष रहे ना कवनो अंत यानी शिवलिंग के ना त शुरुआत रहे ना अंत। हिन्दू पुराण में भगवान शिव के पहिला बियाह माई सती से बतावल गईल बा, जवन कि एकदम उल्टा परिस्थिति में भईल रहे। माई सती प्रजापति दक्ष के बेटी रहली आ प्रजापति दक्ष बेटी सती आ भगवान शिव के बियाह के पूरा तरह से विरोधी रहले, लेकिन भगवान ब्रह्मा के कहला पे प्रजापति दक्ष अपना बेटी सती के बियाह भगवान शिव से करा देले। माता सती अपना पिता से मिलल तिरस्कार के चलते अग्निकुंड में आत्मदाह क लेले रहली, जवना के बाद भगवान शिव बहुत खिसिया गईले अउरी भगवान शिव चरम विरह में तपस्या करे लगले अव अउरी तपस्या में डूब गईले|
भगवान ब्रह्मा के वरदान के चलते तारकासुर अत्यंत शक्तिशाली हो गईल रहले अउरी उनुका आतंक के चलते तीनों लोग कांपत रहले। तारकासुर के अंत खातिर भगवान शिव के पुत्र के जन्म होखे के रहे, तब माई पार्वती भगवान शिव के मनावे खातिर कड़ा तपस्या कईली। माई पार्वती के प्रेम के परख खातिर कई बेर भगवान शिव उनकर तपस्या तोड़े के कोशिश कईले लेकिन एकर कवनो असर ना भईल। अंत में माता पार्वती अउरी भगवान शिव के बियाह हो गईल, लेकिन जब भगवान शिव बियाह के जुलूस लेके माता पार्वती के घरे पहुंचले, तब माता पार्वती उहाँ के बियाह के जुलूस देख के डेरा गईली। भगवान शिव के जुलूस में भूत, पिशाच, पुरुष, कंकाल, कीड़ा, राक्षस, जानवर आ देवी मौजूद रहे। देवी पार्वती के माई मैना भूत पिशाच के समूह देख के डेरा गईली। एकरा बाद माई पार्वती के निहोरा पे भगवान शिव राजा के कपड़ा पहिनले।
जवना सवाल के जवाब ना मिलल
बियाह में एगो प्रथा बा जवना में वर-वधू के वंश बतावल जाला। दुल्हिन के वंश के बात करे खातिर पूरा परिवार मौजूद रहे, लेकिन जब भगवान शिव से ओकर वंश के बारे में पूछल गईल त उ चुप हो गईले, काहेंकी भगवान शिव के जन्म भईल ना त उनुकर माई रहे ना बाप। एही पर नारद मुनि भगवान शिव के स्तुति करे लगले।
(अस्वीकरण: इहाँ दिहल जानकारी सामान्य मान्यता आ जानकारी पर आधारित बा| खबर भोजपुरी एकर पुष्टि नइखे करत|)
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