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शारदीय नवरात:माई के दुसरका रूप ब्रह्मचारिणी के पूजन विधि, कथा आ मंत्र

खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ स्वरूप के कहानी| आजु १६अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई के दूसरका स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी के|

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शारदीय नवरात स्पेशल: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा शारदीय नवरात के नौ दिन के, नौ स्वरूप के कहानी| आजु १६ अक्टुबर के शारदीय नवरात मे माई के दूसरका स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी के| इहाँ ब्रह्म शब्द के मतलब तपस्या ह। ब्रह्मचारिणी के मतलब तपस्या के चारिणी अर्थात तपस्या के आचरण करे वाली । इहे कहल भी गइल बा – वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म-वेद,तत्व आ तप ब्रह्म शब्द के अर्थ हवें|

ब्रह्मचारिणी के कहानी

पिछला जन्म में जब हिमालय के घर में बेटी के रूप में जनमल रहली तs नारद के निर्देश से भगवान शंकर जी के पति बनावे खातिर बेहद कठिन तपस्या कईले रहली। एह कठिन तपस्या के कारण उनकर नाम तपस्चारिणी यानी ब्रह्मचारिणी रखल गइल। उ एक हजार साल खाली फल, मूल खा के बितवली अउरी सौ साल तक सिर्फ शाक से गुजारा कइले रहली। कुछ दिन तक कड़ा व्रत के पालन करत देवी बरखा-सूरज के भयावह आ मंत्र के जाप खुला आसमान के नीचे कइली। एह कठिन तपस्या के बाद उ तीन हजार साल तक खाली जमीन पे गिरल बेल के पतई खा के भगवान शिव के पूजा करत रहली। एकरा बाद उ सूखल पत्ता भी खाईल छोड़ देली अउरी कई हजार साल तक उ निर्जल अउरी निराहार तपस्या करत रहली। पतई तक खाए के त्याग के चलते उनुकर नाम ‘अर्पणा’ हो गईल। कई हजार साल के एह कठिन तपस्या के चलते ब्रह्मचारिणी देवी के शरीर पूरा तरह से क्षीण हो गईल, उनुकर हालत देख के उनुकर माई मेना बहुत दुखी हो गईली अउरी उनुका के ए कठिन तपस्या से मनावे खाती ‘उमा’ के नाम देली। तब से देवी ब्रह्मचारिणी के एगो नाम भी उमा हो गइल बा। उनकर तपस्या के चलते तीनों लोक में हाहाकार मच गइल। देवता, ऋषि, सिद्धगन, ऋषि सभे देवी ब्रह्मचारिणी के तपस्या के अभूतपूर्व गुण बता के एकर सराहना करे लगले। अंत में आकाशवाणी के माध्यम से उनुका के संबोधित करत पितामह ब्रह्मा जी खुशहाल आवाज में कहले – ‘हे देवी!आज तक केहु अयीसन कठोर तपस्या नईखे कईले, जतना तु कईले बाडु।’ एह ज्ञानवर्धक काम के चारो ओर सराहल जा रहल बा| तोहार मनोकामना हर तरह से पूरा हो जाई। भगवान चंद्रमौली शिवजी के तु पति के रूप में जरूर मिलीहें ।अब तोहार तप पुरा भइल, तु वापस अपने घरे चल जा, जल्दिये तोहार इच्छा पुरा होई|”

माता ब्रह्मचारिणी के पूजा विधि

सुबह शुभ समय में माँ दुर्गा के पूजा करीं आ माँ के पूजा में पीयर आ सफेद रंग के कपड़ा के प्रयोग करीं। पहिले माई के पंचमृत से नहा के, ओकरा बाद रोली, अक्षत, चंदन आदि चढ़ाई। माँ ब्रह्मचारिणी के पूजा में गुड़हल आ कमल के फूल के प्रयोग करीं।

माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र (Maa Brahmacharini Mantra)

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..

ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥🌺

 

 

 

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