Sawan Shivratri 2025 : सावन शिवरात्रि के पर्व आज हs। सावन महीना में भगवान शिव के जलाभिषेक के विशेष महत्व होला। जेमे से सावन सोमवार आ सावन शिवरात्रि पs भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक करे के विशेष महत्व होला। एह साल सावन महीना के शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 दिन, बुध के मनावल जा रहल बा।
हिंदू पंचांग में हर साल में 12 शिवरात्रि होला, बाकिर एमे से दुगो शिवरात्रि के खास महत्व दिहल जाला। एमे सबसे प्रमुख फाल्गुन मास के शिवरात्रि मानल जाला, जवना के महाशिवरात्रि कहल जाला। ओहिजा, एकरा अलावे अतिरिक्त दूसरका महत्वपूर्ण शिवरात्रि सावन के मानल जाला। एह दिन विधि-विधान से शिव जी के पूजा कइल जाला। सनातन धर्म में श्रावण मास के महिमा के वर्णन कइल गइल बा।
मान्यता बा कि सावन के शिवरात्रि के शिव-पार्वती के पूजा-अर्चना कइला से सब पाप नष्ट हो जाला, भक्तन के मनोकामना पूरी होला। ज्योतिषाचार्य शिवशरण पाराशर बतवलें कि सावन के शिवरात्रि पs बुध के 24 साल बाद गजकेसरी, मालव्य, नवपंचम, बुधादित्य जोग बन रहल बा। एकरा पहिले ई दुर्लभ महायोग 2001 में बनल रहे।
एह दुर्लभ योग में शिव-पार्वती के पूजा करे वाला भक्तन पs भोलेनाथ के किरपा बरसी। परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ी। मंदिर के पुजारी जयप्रकाश गोस्वामी बतवलें कि बटेश्वर के 41 मंदिरन में रुद्राभिषेक के आयोजन हो रहल बा। कालसर्प दोष, पितृ दोष से मुक्ति खातिर शिवरात्रि पs आचार्य सूर्यकांत गोस्वामी के नेतृत्व में वाराणसी के यज्ञाचार्य अनुष्ठान कराई लो। सावन ले शिवरात्रि पs बटेश्वर में यमुना स्नान आ भोलेनाथ के दर्शन पूजन खातिर श्रद्धालुअन के भीड़ रही।
सावन शिवरात्रि पूजन विधि
सावन शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहिले उठके स्नान आदि कs लीं आ फेर व्रत के संकल्प लीं। एकरा बाद घर में भा कवनो मंदिर में जाके भगवान शिव के पूजा करीं। शिवलिंग के रुद्राभिषेक जल, घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से करीं। शिवलिंग पs बेलपत्र, धतूरा आ श्रीफल चढ़ाईं। भगवान शिव के धूप, दीप, फल आ फूल आदि से पूजा करीं। संगही शिव पूजा करत घरी शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा आ शिव श्लोक के पाठ करीं। सांझ के समय फलाहार ग्रहण करीं।