मात्र 10,000 रुपिया में अपना घर में बनाई लाइब्रेरी, ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’ दे रहल बा साहित्य पs बंपर ऑफर

Anurag Ranjan

हमनी के साहित्य अब भारत के सीमा से परे जाके दुनिया के कइयन देसन में आपन परचम फहरा रहल बा, विशेष पहचान कायम कर रहल बा। भारतीय साहित्य के वैश्विक मंच पs विशेष मुकाम हासिल करावे में प्रकाशन संस्थानन के विशेष भूमिका बा। साहित्य के आमजन तक पहुंचावे में तमाम प्रकाशक कम कीमत पs नामचीन लेखकन के कृतियन के उपलब्ध करवा रहल बा लो।

एह कड़ी में तेजी से उभरत एगो प्रकाशन संस्थान सामने आ रहल बा – ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’। सर्व भाषा ट्रस्ट पिछला दु बरिस से प्रकाशन के दिशा में सक्रिय बा। अब तक ई लगभग पांच सौ पुस्‍तकने के प्रकाशन कइले लेले बा। मुख्‍यत: अकादेमिक आ साहित्रीक विषयन पs हिंदी के श्रेष्‍ठ पुस्‍ तकन के प्रकाशन इहां से हो रहल बा। सर्व भाषा ट्रस्ट के लेखकन में देश के जानल मानल साहित्‍यकार, भाषाविद, प्रोफेसर, कथाकार, कवि आ आलोचक आदि सामिल बा लो।

सर्वभाषा प्रकाशन के निदेशक केशव मोहन पाण्डेय बतवलें कि पुस्तकन के संसार सबसे निराला होला। पुस्तक खाली अक्षरन आ शब्दन के समायोजने ना होला, असीमित ज्ञान के भंडार होला। पुस्तकन के गुरु के गरिमा होला तs मां के ममत्व। पुस्तक हर क्षण सच्चा मित्र-अस साथ देला।

केशव मोहन पाण्डेय बतवलें कि भाषा, साहित्य, कला आ संस्कृति खातिर समर्पित ‘सर्व भाषा ट्रस्ट’, ‘सर्व भाषा प्रकाशन’ आ ‘थिंक पेन पब्लिकेशन’ के माध्यम से सब भारतीय भाषा के साहित्य के प्रकाशित करे खातिर प्रतिबद्ध बा। ऊ बतवलें कि सर्व भाषा ट्रस्ट अभी तक 28 भाषा में पुस्तकन के प्रकाशित कर चुकल बा। एकरा के साहित्य के क्षेत्र कश्मीर से केरल, अरुणांचल-प्रदेश से राजस्थान के चित्तौड़गढ़ तक विस्तारित बा।

केशव मोहन पाण्डेय बतवलें कि एह साल के उनकर उद्देश्य जहां विश्वविद्यालयन के पाठ्यक्रमन आ पाठकन तक समीक्षात्मक, शोधपरक आ वैचारिक पुस्तकन के सहज उपलब्धता के संगे पहुंचावल बा। ओहिजा युवा पाठकन खातिर गीत-गजल आ कहानियन-उपन्यासन के सीरीज सुरू कइल गइल बा। एमे सार्वभाषा गजल सीरीज, सार्वभाषा गीत सीरीज, सार्वभाषा लघुकथा सीरीज आदि मुख्य बा। सर्व भाषा ट्रस्ट में हर वर्ग खातिर पाठक खातिर पुस्तक मुहैया होई, चाहे बात आलोचना के होखे, समीक्षा के होखे, विमर्श के होखे भा फेर बात ज्योतिष, आध्यात्म, वास्तु के होखे।

सर्वभाषा प्रकाशन के निदेशक बतवलें कि ऊ बच्चन के एगो बड़ पाठक वर्ग तइयार करे खातिर एगो योजना बनवले बाड़ें। एमे बाल-कवितन के सर्वप्रिय कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के पुस्तक ‘माखन-मिसरी’ आ ‘सोच समझ कर दोस्ती करो’, कवि-समीक्षक ओम निश्चल के तीन पुस्तक; पूछ रही है चिया’, ‘कुदरत कि लय’ आ ‘हम करें राष्ट्र आराधन’ सामिल बा। ई पांच पुस्तक महज 500 रुपिया में उपलब्ध करववाल जा रहल बा। संगही उपहार के रूप में एगो अतिरिक्त पुस्तक दिहल जाई। अइसही गजल के प्रेमियन खातिर पांच गजल के पुस्तक 750 रुपिया में, पांच उपन्यास के पुस्तक 1000 रुपिया में देवे के योजना बना रहल बा।

सर्व भाषा ट्रस्ट प्रकाशन के कुछ पुस्तक।

 

हमनी के योजना बा कि पाठकन के मात्र 500 रुपिया में हिंदी के मशहूर लेखकन के तीन पुस्तक, 1,000 रुपिया मे 5 पुस्तक उपलब्ध करावल जाव।

एगो योजना ‘पाठक क्लब’ सुरू कइल गइल बा। एकरा तहत पाठकन के 500 रुपिया के एक साल के सदस्यता लेवे के होई आ ओह लोगन के कवनो पुस्तक 50 प्रतिशत के छूट पs मिली। सर्व भाषा ट्रस्ट ‘गृह-पुस्तकालय’ के एगो योजना तइयार कइले बा। एमे 10,000 रुपिया में कवनो भाषा के आ अलग-अलग विधा के 100 पुस्तक लिहल जा सकत बा। लईकन आ युवा लोगन खातिर एह योजनन मे अलग से छूट दिहल जाई। एह बारे में बेसी जानकारी सर्व भाषा ट्रस्ट के फोन नंबर 011- 35013521 से हासिल कइल जा सकत बा।

साभार: न्यूज 18 हिंदी

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सिविल इंजीनियर, भोजपुरिया, लेखक, ब्लॉगर आ कमेंटेटर। खेल के दुनिया से खास लगाव। परिचे- एगो निठाह समर्पित भोजपुरिया, जवन भोजपुरी के विकास ला लगातार प्रयासरत बा। खबर भोजपुरी के एह पोर्टल पs हमार कुछ खास लेख आ रचना रउआ सभे के पढ़े के मिली। रउआ सभे हमरा के आपन सुझाव anuragranjan1998@gmail.com पs मेल करीं।