Ram Navami Special: जानि राम नौमी मे, माई के पांचवें दिन स्कंदमाता के स्वरूप , माँ स्कंदमाता के कहानी, आरती, मंत्र , रंग आ पूजा के विधि
आजु २६ मार्च के राम नौमी मे माई के चौथा स्वरूप माँ स्कंदमाता के बारे मे, आई जानल जा-
Ram Navami Special: जानि राम नौमी मे, माई के पांचवें दिन स्कंदमाता के स्वरूप , माँ स्कंदमाता के कहानी, आरती, मंत्र , रंग आ पूजा के विधि
Ram Navami Special: खबर भोजपुरी आप सभे के सोझा लेके आइल बा राम नौमी के नौ दिन के, नौ स्वरूप के कहानी| आजु २६ मार्च के राम नौमी मे माई के चौथा स्वरूप माँ स्कंदमाता के बारे मे, आई जानल जा-
नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के पूजा होला। स्कन्द के मतलब होला भगवान कार्तिकेय आ माता के मतलब माई, एही से उनकर नाम के अर्थ स्कन्द के माई ह। देवसुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद के माता होखला के नाते माँ दुर्गा के पांचवा रूप स्कंदमाता के नाम से जानल जाला।
स्कंदमाता के कहानी
किंवदंती के अनुसार कहल जाला कि तारकासुर नाम के एगो राक्षस रहे। जवना के अंत शिव के पुत्र के हाथ से ही संभव रहे। तब माई पार्वती अपना बेटा स्कंदा (कार्तिकेय) के युद्ध खातिर प्रशिक्षित करे खातिर स्कंद माता के रूप ले लिहली। भगवान कार्तिकेय स्कंदमाता से लड़ाई के प्रशिक्षण ले के तारकासुर के हत्या कर दिहले।
देवी स्कंदमाता के रूप
स्कंदमाता के चार गो बांह बा। भगवान स्कंद अपना दाहिना ओर के ऊपरी बांह में गोदी में बाड़े। उनकर दाहिना ओर के निचला बांह जवन ऊपर के ओर उठल बा, ओकरा में कमल के फूल बा। बाईं ओर के ऊपरी बांह वरमुद्रा में होला आ निचला बाँह जवन ऊपर के ओर उठल होला ओह में भी कमल के फूल होला। उनकर किरदार पूरा तरह से गोरा बा। कमल के आसन पे भी बइठल बाड़ी। एही कारण से उनुका के पद्मासन देवी भी कहल जाला। शेर भी उनकर वाहन ह।
पूजा के तरीका
सूर्योदय से पहिले नहा के हरियर कपड़ा पहिन के हरियर चूड़ी, हरियर साड़ी, मेहंदी, सिंदूर, रोली, अक्षत देवी के चढ़ाईं। आज के दिन यशोदागर्भ सम्भव हरियर चुनरी में नारियल रख के नंदगोपगृह जात रहले। एह मंत्र “ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी” के 108 बेर जप के एगो नारियल बान्ह के हमेशा सिरहाने पे राखीं.. मानल जाला कि एहसे खाली गोदी जल्दी हरियर हो जाला, मतलब कि बच्चा के सुख के संभावना पैदा हो जाला।
स्कंदमाता के आरती
जय तेरी हो स्कंद माता।
पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी।
जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहू मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहू मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा।
मुझे एक है तेरा सहारा॥
कही पहाडो पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मंदिर में तेरे नजारे।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इंद्र आदि देवता मिल सारे।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खंडा हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी॥
देवी स्कंदमाता के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
नवरात्रि के पंचम दिन के शुभ रंग
माँ स्कंदमाता की पूजा में हरे रंग का प्रयोग करी । मान्यता के अनुसार एह से देवी बहुत खुश हो जाली आ साधक के जीवन ऊर्जा से भरल रहेला। हरियर रंग कुछ नया करे के प्रेरणा देला।
माँ स्कंदमाता के फूल
देवी स्कंदमाता के भी पीला फूल पसंद बा।देवी के पूजा करके भगवान कार्तिकेय के खुद भी पूजा होला। स्कंद देव यानी भगवान कार्तिकेय के देवता के सेनापति मानल जाला। इनकर पूजा कइला से व्रती के मनचाहा फल मिलेला।
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