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अफसरन के 32 साल बाद खुलवाए के पड़ल इ अलमारी, दरवाजा खुलले के साथे पीछे हट गइल सभ के कदम

32 साल बाद जब अलमीरा खुलल त सभे पीछे हट गईल। अलमीरा में मौजूद दस्तावेज दीमक खा चुकल रहे। छोट-छोट जीव के अंडा बिखराइल रहे। दरवाजा खोलला के बाद दुर्गन्ध अईसन पसर गईल कि सांस लेवे में कठिनाई हो गईल।

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Digitalization of Government Documents: मुख्यमंत्री योगी के दस्तावेज के डिजिटल करे के आदेश के लागू करे खातीर सोमार के 32 साल बाद जब सफाई अभियान के तहत अभियोजन कार्यालय में अलमिरा खोलल गईल त सभके कदम पीछे हो गईल। अलमीरा में मौजूद दस्तावेज आ किताब दीमक खा चुकल रहे। छोट-छोट जीव के अंडा बिखराइल रहे। दरवाजा खोलला के बाद दुर्गन्ध अईसन पसर गईल कि सांस लेवे में दिक्कत हो गईल। कवनो तरह से किताबन के हटा दिहल गइल। अगिला चरण में निष्प्रयोज्य सामान के नीलाम कईल जाई अवुरी ओकरा बाद डिजिटलीकरण के प्रक्रिया शुरू हो जाई।

दरअसल, पहिले मुख्यमंत्री अभियोजन कार्यालय के दस्तावेज के डिजिटल करे के निर्देश देले रहले। आदेश के लागू करे खातिर 20 जुलाई के एडीजी अभियोजन पक्ष दीपेश जुनेजा पूरा राज्य में अनुपयोगी सामग्री अवुरी किताब के नीलामी के आदेश देले रहले। नीलामी के पूरा प्रक्रिया भी जारी कईल गईल। एडीजी के आदेश के बाद सोमार के गोरखपुर के वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी संदीप सिंह कार्यालय के पुरान अलमीरा खोलले। एह अलमारियन पs पुरान किताब आ महत्वपूर्ण दस्तावेज रहे।

किताबन के कीमत एतना तक ना मिलल कि स्क्रैप के रूप में बेचल जा सके। दीमक किताबन के खा गइल रहे आ ऊ सड़ गइल रहे। अनुमान बा कि लगभग 32 साल पहिले ए अलमिरा में ताला लागल रहे अवुरी ओकरा बाद से केहु एकरा के खोले के कष्ट ना कईलस। अलमीरा से अइसन बदबू निकलत रहे कि आफिस में बइठल मुश्किल हो गइल। निदेशालय के रिपोर्ट भेजल गईल कि किताब रद्दी में भी बेचे लायक नईखे।

एडीजी अभियोजन पक्ष दीपेश जुनेजा कहले कि पूरा राज्य में स्वच्छता अभियान चलावल जाता। अनुपयोगी सामग्री के निपटान के नीलामी करे के आदेश दिहल गईल बा, नीलामी खातीर मानक तय कईल गईल बा। एकरा बाद डिजिटलीकरण के प्रक्रिया शुरू हो जाई।

 

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