अब स्थानीय भाषा में शिक्षण सामग्री तइयार हो रहल बा जेहसे कि लइका-लइकी कवनो विषय के आसानी से समझ सकेलें आ पढ़ सकेलें। किताब के अलावे एकरा में ऑडियो होई, एहमें भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेली भाषा के कहानी, कविता आदि शामिल होई। राज्य हिन्दी संस्थान एह तकनीक के विकास में लागल बा। एक बेर तइयार हो गइला के बाद एकरा के राज्य भर के परिषदीय स्कूलन में लागू कर दिहल जाई। संस्थान के निदेशक डॉ. ऋचा जोशी पाठ्यक्रम आधारित शिक्षण सामग्री तइयार कइल जा रहल बा बतवली। स्थानीय भाषा में किताब तैयार हो रहल बा। एकरा बाद स्थानीय भाषा में ऑडियो तैयार कईल जाई। पांच-पांच गो विषय विशेषज्ञ के बोलावल जाई।
स्थानीय भाषा के अध्ययन में रुचि जगइले के संगे लुप्त भाषा के भी संरक्षण होई। शिक्षक के भी पढ़ावे में कवनो दिक्कत ना होई। जहाँ भी जाइहें, ई सामग्री मिल जाई।