मुलायम सिंह यादव के नाइ होई तेरहवीं, सैफई के का ह परंपरा, जेके निभइहें अखिलेश
आमतौर पर केहू के निधन के बाद तेरहवीं अउर सतरहवीं होला। एह दिन ब्राह्मण भोज के सथही रिश्तेदार, परिचित, जान-पहचान वाले अउर गांव वालन के भोज करावे के चलन बा। ई चलन सैफई गांव के लोग बहुत पहिले बंद कर दिहले । सैफई के ग्रामीण के मानल बा कि तेरहवीं के भोज कइले से आर्थिक बोझ पड़sला। एक तरफ लोग अपना से बिछड़ले के गम में डूबल होला, दूसरा ओर भोज के आयोजन ठीक नाइ लागsला। एही के देखत सैफई गांव तेरहवीं नाइ कइले के फैसला बहुत पहले कइलें रहले।
हालांकि मुलायम परिवार के सामने कौनो तरह के आर्थिक समस्या नाइ बा। ऊ तेरहवीं कs सकsता लेकिन सैफई के लोग के इहो मानल बा कि अगर केहू बड़ आदमी तेरहवीं करsला त ओ के देखकर गरीब आदमी भी करी अउर ओपर आर्थिक बोझ पड़ी। एही वजह से अमीर घर के लोग भी सैफई के परंपरा निभावता अउर तरहवीं नाइ करेने। ऊ अखिलेश यादव भी सैफई के परंपरा निभावत पिता मुलायम के तेरहवीं नाइ कइले के फैसला लिहले बानें।
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