काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरन में से एगो हs। ई भगवान शिव के समर्पित बा। ई 12 ज्योतिर्लिंग में से एगो हs ई शिव के सबसे पवित्र मंदिरन में से एगो हs। मंदिर के मुख्य देवता श्री विश्वनाथ हवे जेकर मतलब होला ब्रह्मांड के स्वामी। मानल जाला कि अगर कवनो भक्त एक बेर एह मंदिर में जाके पवित्र गंगा में स्नान कs लेला तs ओकरा मोक्ष प्राप्ति होला।
काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास
जब देवी पार्वती आपन पिता के घरे रहत रहली जहां उनुके बिल्कुल अच्छा ना लागत रहे। एक दिन देवी पार्वती भगवान शिव से कहली कि उनुका के अपना घरे ले जास। भगवान शिव पार्वती के आज्ञा मान के काशी ले अइले आ विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में इहाँ स्थापित भइल।
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इहाँ भगवान शिव के समर्पित एगो प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर बा।ई भारत के उत्तर प्रदेश के प्राचीन शहर बनारस के विश्वनाथ गली में स्थित बा। ई हिन्दू लोग के सभसे पबित्र तीर्थस्थल सभ में से एक हवे आ भगवान शिव के बारह गो ज्योतिर्लिंग मंदिर सभ में से एक हवे। ई मंदिर हजारों साल से पवित्र गंगा नदी के पच्छिमी किनारे बा। मंदिर के मुख्य देवता श्री विश्वनाथ आ विश्वेश्वर के नाव से जानल जाला जेकर शाब्दिक अर्थ ब्रह्मांड के स्वामी होला। मानल जाला कि एक बेर एह मंदिर में जाके पवित्र गंडक में नहाला के बाद मोक्ष के प्राप्ति हो जाला सदियन से काशी विश्वनाथ मंदिर के संचालन काशी राजा लोग करत रहल बा, बाकिर 1983 ई. में उत्तर प्रदेश सरकार एह मंदिर के तत्कालीन काशी राजा महाराजा विभूति नारायण सिंह के प्रबंधन से छीन के अपना नियंत्रण में ले लिहलस। वाराणसी के प्राचीन काल में काशी कहल जात रहे, आ एही से एह मंदिर के लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहल जाला। एह मंदिर के हिन्दू शास्त्र में शैव संस्कृति में पूजा के केंद्रीय अंग मानल जाला।

आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, गोस्वामी तुलसीदास सब एह मंदिर के दर्शन करे आइल बाड़े। इहे संत एकनाथजी वारकरी सम्प्रदाय के महान पुस्तक श्री श्रीएकनाथी भागवत के लेखन पूरा कइलन आ ओह किताब के हाथी पs काशीनरेश आ विद्वान लोग बहुत धूमधाम से जुलूस निकालल गइल। महाशिवरात्रि के आधा रात में प्रमुख मंदिरन से एगो भव्य जुलूस ढोल- नगाड़ा आदि के साथे बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर में जाला।
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विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में कई मुस्लिम शासक बार बार गिरा दिहले। मुगल शासक औरंगजेब अंतिम मुस्लिम शासक रहलें जे एह मंदिर के गिरा दिहलें आ एकरे जगह पs वर्तमान ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण कइलें। मंदिर के वर्तमान संरचना 1780 में इंदौर के मराठा शासक अहिल्याबाई होलकर द्वारा तत्कालीन काशी राजा महाराजा चेत सिंह के सहयोग से पास के जगह पs बनल रहे। काशी राजा महाराजा चेत सिंह सभ मराठा सैनिक आ कारीगर लोग के सुरक्षा के इंतजाम कइले रहलें, जेकरा चलते काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण के काम आसानी से पूरा हो गइल।

भगवान शिव के त्रिशूल के ऊपर स्थित बा काशी विश्वनाथ मंदिर
मानल जाला कि ई भगवान शिव के त्रिशूल के ऊपर स्थित बा। ई संघ काशी के एगो ब्रह्मांडीय केंद्र के रूप में चित्रित करे ला आ आध्यात्मिक मुक्ति खातिर एकर महत्व के रेखांकित करे ला, दुनिया भर से तीर्थयात्री लोग के आकर्षित करे ला।
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काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के समय
काशी विश्वनाथ मंदिर में सबेरे 4 बजे से 11 बजे ले सार्वजनिक दर्शन हो सकता। मंदिर में दर्शन खातिर वीआईपी पास भी बुक कइल जा सकेला। वीआईपी पास के दाम सीजन अवुरी उपलब्धता के आधार पs 500 से 600 रुपया के बीच बा।
*सबेरे 4 बजे से 11 बजे तक सार्वजनिक दर्शन
*मध्याह्न भोग आरती 11:30 से 12 बजे तक
*दर्शन दुपहरिया 12 बजे से साँझ 7 बजे तक
*सप्तर्षि आरती शाम 7 से 8:30 बजे तक

काशी विश्वनाथ मंदिर कइसे जाईं
काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे खातिर सड़क, रेल, या हवाई जहाज से जा सकेनी।
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सड़क के रास्ता
वाराणसी शहर कई राजमार्ग से जुड़ल बा। वाराणसी पहुंचे खातिर देश के कई शहरन से निजी आ सार्वजनिक बस चलेला।वाराणसी पहुंचला के बाद टैक्सी भा ऑटो से लाहौरी टोला पहुंचल जा सकेला। लहौरी टोला से मंदिर के रास्ता देखाई देला
रेलवे ट्रैक
वाराणसी शहर रेलवे से बढ़िया से जुड़ल बा।वाराणसी सिटी स्टेशन मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर बा।वाराणसी जंक्शन मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर दूर बा. नई दिल्ली से काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस ट्रेन चलेली।
हवाई जहाज
बाबतपुर के लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा दिल्ली आ मुंबई जइसन भारतीय मेट्रो से बढ़िया से जुड़ल बा. दिल्ली हवाई अड्डा से आपस में जुड़ल उड़ान उपलब्ध बा। एहसे भारत के दोसरा शहरन से भा विदेश से आवे वाला पर्यटक दिल्ली घरेलू हवाई अड्डा पs चहुँप सकेलें आ वाराणसी खातिर फ्लाइट से जा सकेलें. काशी विश्वनाथ मंदिर लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा से लगभग 20-25 किलोमीटर दूर बा। अयीसना में मंदिर ले पहुंचे खातीर टैक्सी, कैब चाहे सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल कईल जा सकता।