युद्ध में आसमान से आग बरसावत रहल ‘बहादुर’ अउरी थर्रा उठे पाकिस्तान, डर के मारे कहत रहलें सब ‘चुड़ैल’
कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के पस्त कइले में थलसेना के साथ ही वायुसेना भी अभूतपूर्व योगदान देहले रहल। वायुसेना के एगो लड़ाकू विमान पाकिस्तान के एतना गहरी चोट देहले रहल कि पाकिस्तान ओके ‘चुड़ैल’ कहत रहल। अब आप एही से अंदाजा लगा सकत बानी कि युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना के एह ‘बहादुर’ से पाकिस्तान केतना घबराईल होई।
कारगिल के ऊंच चोटियन पर घात लगाके बईठल पाक सैनिकन के ई अंदेशा नहीं रहल कि उनके ऊपर आसमान से भी हमला हो सकत बा। भारतीय वायुसेना के मिग 27 लड़ाकू विमान सब आसमान से पाक सैनिकों पर आग बरसावल शुरू कर देहल। वायुसेना के ई बहादुर पाक सेना के सप्लाई अउरी पोस्ट पर एतना सटीक अउरी घातक बमबारी कइलस जईसे उनके पांव उखड़ गईल।
1700 किलोमीटर प्रतिघंटे के रफ्तार अउरी हवा से जमीन पर अचूक हमला कइले में सक्षम एह रूसी लड़ाकू विमान के कारगिल युद्ध में पराक्रम दिखवले खातिर बहादुर नाम देहले गइल। एकर खौफ पाकिस्तान के दिलोदिमाग में अइसन छा गइल कि ऊ ‘चुड़ैल’ नाम दे डरलस।
जब ई विमान जमीन के सतह के करीब उड़ान भरत रहल तब कौनों रडार बड़ी मुश्किल से एकर पहचान कर पावत रहल। एकर आवाज दुश्मन के दिल में खौफ पैदा करत रहल। हालांकि भारतीय वायुसेना अपने 38 साल के सफर के दौरान एह लड़ाकू विमान मे कई उतार-चढ़ाव भी देखले बा।
हवा से जमीन पर सटीक निशाना लगवले में रहल माहिर
मिग-27 अपने जमाने के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमान रहल। ई हवा से जमीन पर निशाना लगवले में एतना माहिर रहल कि दुश्मन के भनक लगले से पहिले ई ओके नेस्तनाबूत कर देत रहल। ई फाइटर जेट 1700 किलोमीटर प्रतिघंटे के उड़ान भरले में सक्षम रहल। एकरे अलावा ई चार हजार किलोग्राम के वॉरहेड के ले जा सकत रहल।
साल 1981 में भारतीय वायुसेना के पाकिस्तान अउरी चीन से निपटवले खातिर विशेष किस्म के तेज लड़ाकू विमानन के जरूरत रहल। ओह समय पश्चिमी देश जइसन अमेरिका, ब्रिटेन पाकिस्तान के करीबी रहले अउरी वे भारत के अपने उन्नत लड़ाकू विमान नाई देवे वाले रहने। ओह समय रूस अपने मिग 27 विमानन के भारत के बेचले के पेशकश कइले।
रूस ईहां ले कहलस कि ऊ एह विमान के बनवले के लाइसेंस भी भारत के देई। एकरे बाद 1985 में औपचारिक रूप से ई विमान भारतीय वायुसेना में शामिल भइलें। रूस से लाइसेंस मिलले के बाद हिंदुस्तान एयरोटॉनिक्स लिमिटेड मिग 27 विमानन के 165 यूनिट के निर्माण कईलस। एकरे अलावा एचएएल 86 विमानन के अपग्रेड भी कइलस।
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