आकाशवाणी गोरखपुर के सेवा निवृत्त कार्यक्रम अधिकारी आ ‘जुगानी भाई’ नाव से विख्यात डा.रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव के आजु सबेरे 9 बजे मे 83 बरिस में गोरखपुर के मेडिकल कालेज में अंतिम सांस लिहले. उनका निधन से साहित्यिक वर्ग में शोक के लहर उठ गइल बा। इनके कई गो कविता कई गो विश्वविद्यालयन के पाठ्यक्रम में शामिल बाड़ी सऽ। उनकर व्यक्तित्व आ काम पs शोध दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से पूरा हो चुकल बा. बहुत दिन तक उहाँ के भोजपुरी के उत्थान खातिर विभिन्न पत्र-पत्रिका में लिखत रहनी.
जुगनी भाई के जनम 12 मई 1942 के गोरखपुर जिला के गाँव-भवाजीतपुर (पंचगांवां) पोस्ट-ऊंचगांव में भइल रहे। उनकर माई के नाव सरस्वती देवी आ पिता के नाव सर्वदेव लाल श्रीवास्तव रहे। उनकर बियाह कामिनी श्रीवास्तव से भइल रहे। पढ़ाई मास्टर्स (प्राचीन इतिहास), बीएमएस में भइल।
भोजपुरी खातीर ‘जुगानी भाई’ के योगदान
जब भोजपुरी के बात चलेला तs गोरखपुर के रवीन्द्र श्रीवास्तव ” जुगानी भाई ” के नाव पहिले आवेला । गोरखपुर आकाशवाणी से कार्यक्रम अधिकारी के पद से अवकाश प्राप्त कइले के बादो भोजपुरी के सेवा में लागल रहले.
1974 में आकाशवाणी गोरखपुर के सुरुआत से ले के अपने सेवानिवृति ले आप सैकड़न भोजपुरी कार्यक्रमन के संचालन आ संयोजन कईले बाड़े । आकाशवाणी के माध्यम से भोजपुरी के प्रचार ,प्रसार आ संवर्धन में इनकर भूमिका बहुत महत्वपूर्ण बा ।
आकाशवाणी गोरखपुर के सेवा निवृत्त कार्यक्रम अधिकारी आ जुगानी भाई नाव से विख्यात डा.रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव पर दी.द.उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी आ आधुनिक भारतीय भाषा आ पत्रकारिता विभाग में शोध प्रबंध प्रस्तुत हो चुकल बा । ई आकाशवाणी गोरखपुर खातिर 500 से अधिक लघु नाटकन के लेखन निर्देशन भी कइले रहले.

जुगानी भाई’ के कृति
‘जुगानी भाई’ के कृतियन में मसहूर कृति मोथा अउर माटी (काव्य-संग्रह), गीत गाँव-गाँव(काव्य-संग्रह), नोकियाति दुबि (काव्य-संग्रह), अखबारी कविता (काव्य- संग्रह), • फुन्सियात सहर (काव्य-संग्रह), अगली बगली (गद्य-संग्रह), खिरकी त खोलीं (काव्य-संग्रह) लेट द विण्डो बी ओपेण्ड (अंग्रेजी अनुवाद), भोजपुरी कबितई कऽ पंचामृत (काव्य-संग्रह), ई कइसन घवहा सन्नाटा (काव्य-संग्रह), गोरखपूरियत के बहाने (गद्य-संग्रह), अबहिन कुछ बाकी बा (भोजपुरी काव्य-संग्रह), कलम बना के बाँसुरी (काव्य- संग्रह) बा.
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जुगानी भाई’ के सम्मान
जुगानी भाई के उ.प्र.हिन्दी संस्थान से लोकभूषण सम्मान, वर्ष 2013 में विद्याश्री न्यास के आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान आ विद्यानिवास मिश्र लोककला सम्मान मिल चुकल बा । उनकर रचना ‘मोथा अउर माटी’, ‘गीत गांव-गांव के’, ‘नोकियात दूब’ आ ‘अखबारी कविता’ जईसन कृतियन के रचना कs के भोजपुरी के थाती बढ़उले बाडे.
श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव केवर्ष 2001में संस्कार भारती, 2002 में लोकभूषण, 2004 में भोजपुरी रत्न, 2009में सरयू रत्न, 2011में पं.श्याम नारायण पांडेय सम्मान आ 2012 में राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, उ.प्र.हिन्दी संस्थान वर्ष 2015 के भिखारी ठाकुर सम्मान आ यायावरी वाया भोजपुरी द्वारा यायावरी शिखर सम्मान से सम्मानित कइल गइल बा।