जयंती स्पेशल: वंदे मातरम के साथे बंकिम के याद करीं…

Raj Nandani

बंगाली साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी के गीत ‘वंदे मातरम’ में राष्ट्रवाद के बढ़िया से अभिव्यक्ति बा। ई गीत आजो राष्ट्र के संप्रभुता आ एकता के शंखनाद करेला । बंकिम के जनम ओह घरी भइल जब बंगला साहित्य के ना तs कवनो आदर्श रहे ना कवनो प्रारूप । ओह घरी बंगाली साहित्य पर कवनो विचार मानव मन में विकसित ना भइल रहे। एह से बंकिम कुछ कविता लिख के साहित्य के क्षेत्र में आपन मौजूदगी दर्ज करवले। इनके जनम 26 जून 1838 के भइल आ निधन 8 अप्रैल 1894 के भइल। बंकिम 1874 में वंदे मातरम के रचना कइले रहलें, जेकरा बाद में आनंद मठ उपन्यास में शामिल कइल गइल। वंदे मातरम गीत के पहिला बेर 1896 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गावल गइल रहे।

वन्दे मातरम्।

सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्,

शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 1।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,

फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,

सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्,

सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 2।।

कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,

कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,

के बॉले माँ तुमि अबले,

बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,

रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम्।। 3।।

तुमि विद्या तुमि धर्म,

तुमि हृदि तुमि मर्म,

त्वम् हि प्राणाः शरीरे,

बाहुते तुमि माँ शक्ति,

हृदय़े तुमि माँ भक्ति,

तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।। 4।।

त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,

कमला कमलदलविहारिणी,

वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,

नमामि कमलाम् अमलाम् अतुलाम्,

सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम्।। 5।।

श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्,

धरणीम् भरणीम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। 6 ।।

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