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ISRO: चंद्रयान-4 पहिला बेर टुकड़ा-टुकड़ा में अंतरिक्ष में जाई; पांच साल में 70 उपग्रह प्रक्षेपण के तैयारी

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इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ मंगल के दिने बतवले कि अंतरिक्ष एजेंसी चंद्र मिशन के अगिला चरण – चंद्रयान 4 आ चंद्रयान 5 के डिजाइन के काम पूरा कs लिहले बिया । अब इसरो एह मामिला में सरकार से मंजूरी लेबे के प्रक्रिया में लागल बा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डॉ. एस. हमनी के अब सरकार के मंजूरी के इंतजार बा। संगही ऊ कहले कि अगिला पांच साल में 70 उपग्रह के प्रक्षेपण के योजना बा।

चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा के सतह से पत्थर आ माटी के नमूना ले आवल जाई। एकर चंद्रमा के सतह पs नरम लैंडिंग होई। एह मिशन में स्पेस डॉकिंग शामिल होखी । मतलब कि एह बीच चंद्रयान-4 के टुकड़ा-टुकड़ा में भेजल जाई। एकरा बाद एकरा के स्पेस में जोड़ दिहल जाई। पहिला बेर अइसन होखे वाला बा ।

डॉ. सोमनाथ भारतीय अंतरिक्ष संघ के अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के एगो कार्यक्रम के किनारा में मीडिया से बात करत रहले। ऊ कहले कि चंद्रयान-3 के बाद हमनी के चंद्रमा पs बहुत मिशन बा। एकरा से पहिले इसरो के अधिकारी कहले रहले कि चंद्रयान-4 साल 2028 में लॉन्च होई।

ऊ बतवले कि इसरो पांच साल में जवन 70 उपग्रह के प्रक्षेपण करी, ओकरा में से निचला कक्षा में राखल उपग्रह भी होई। एहसे अलग अलग मंत्रालयन आ सरकारी विभागन के जरूरत पूरा हो जाई। संगही ऊ कहले कि चार उपग्रह क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली के होई।

दस से अधिका कंपनी एसएसएलवी में रुचि देखवली सँ ।

इसरो के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ मंगल के दिने बतवले कि दस से अधिका कंपनी आ कंसोर्टियम छोट उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएसएलवी) बनावे में रुचि देखवले बाड़ी सँ जवना में से कुछ कंपनी के तकनीक हस्तांतरण खातिर संभावित बोली लगावे वाला चुनल गइल बा । इसरो के प्रमुख कहले कि चुनल उद्योग साझेदार पहिले इसरो के मदद से दु साल के अवधि में दुगो एसएसएलवी विकसित करी आ ओकरा बाद छोट-छोट उपग्रह के निचला पृथ्वी के कक्षा में राखे खातीर रॉकेट बनावे पs काम करी।।

एआईसीटीई आ इंडियन स्पेस एसोसिएशन के ओर से आयोजित एगो कार्यक्रम के किनारे ऊ पत्रकारन से कहले कि, एसएसएलवी खातीर तकनीक के हस्तांतरण में 100 से जादे समूह/संगठन सोझा आइल बाड़े आ रुचि देखवले बाड़े। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ 16 अगस्त के लघु उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (एसएलवी) के प्रक्षेपण के बाद घोषणा कइले कि प्रक्षेपण वाहन के निर्माण के काम पूरा हो गइल बा आ इसरो उद्योग के बड़ पैमाना पs रॉकेट बनावे में स्थानांतरित करे खातीर तैयार बा। ऊ कहले कि, हमनी के उम्मीद बा कि एकरा से उद्योग के छोट रॉकेट बनावे में आपन क्षमता आ क्षमता बढ़ावे में मदद मिली।

अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश से लाखों रोजगार के अवसर पैदा होला

डॉ. स्वामीनाथ कहले कि, अंतरिक्ष कार्यक्रम में निवेश से प्रत्यक्ष आ परोक्ष रूप से लाखों रोजगार पैदा भइल। हमनी के अब तक अंतरिक्ष कार्यक्रम में जवन भी निवेश कइले बानी जा, ओकरा से समाज के बहुत फायदा भइल बा। कई बेर लोग के एहसास ना होला कि एह कार्यक्रम के कवन असर पड़ी । हर अंतरिक्ष कार्यक्रम के असर लोग के जीवन आ समाज पर कई तरह से पड़ेला। एकरा से अर्थव्यवस्था, रोजगार, खेती, सुरक्षा, सामाजिक प्रभाव, प्राकृतिक संसाधन में सुधार, डिजिटल कनेक्टिविटी, प्रशासनिक आदि समेत कई क्षेत्र में सुधार होला। ऊ कहले कि, हमनी के हाल ही में कुछ विशेषज्ञ के संगे एगो अध्ययन शुरू कइले बानी, जवना से समाज पs निवेश के असर के समझल आ नापल जा सके।

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