इहों के जानी, इहों के पहचानी….आजु जानल जाव गोरखपुर के शास्त्रीय संगीत में आपन पहचान बनावत हृदया त्रिपाठी के बारे में
एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव बाबा गोरखनाथ के पावन धरती से गायन के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहsल हृदया त्रिपाठी के बारे में…
खबर भोजपुरी एगो सेगमेंट लेके रउरा सब के सोझा आइल बा जवना में हमनी के अपना क्षेत्र में बेहतर काम कs रहल युवा लोग से रउरा लोग से परिचय करावेनी जा।
एह कड़ी में आजू आईं जानल जाव बाबा गोरखनाथ के पावन धरती से गायन के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहsल हृदया त्रिपाठी के बारे में…
हृदया जी के जनम 28 सितम्बर 1986 के गोरखपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर लखनऊ रोड पs सहबाजगंज गाँव में भइल रहे। इनकर बाबा जी पंडित रामसहाय तिवारी शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ आ सारंगी वादक रहले। संगीत के शिक्षा रामपुर घराना के उस्ताद दद्दन खान साहब से लिहली। बाबाजी के निधन के बाद घर में संगीत बैठक के परंपरा लगभग खतम हो गईल।
करीब 6 साल के उमिर में 1995 में अखिल भारतीय रेडियो आ दूरदर्शन के गोरखपुर केंद्र से गीत इनकरी आवाज में रिकार्ड कइल गइल। एही बीच सौभाग्य से श्री टीमल प्रसाद जी के रूप में एगो बढ़िया गुरु के आशीर्वाद मिलल। गुरुजी से संगीत के बेसिक पाठ लेवे लगली। लेकिन बहुत कम उमिर के चलते हमरा पढ़े में दिक्कत होखत रहे।
एही से हमार बड़की बहिन वत्सला गायन आ छोटकी बहिन स्मृति तबला सीखे लगली। एकर असर ई भइल कि रोज सबेरे साँझ तीनो बहिन घर में घंटन अभ्यास करत रहली जा आ इनकर माई-बाबूजी श्रोता के रूप में सुनत रहले आ इन लोगन के गलती भी बतावत रहले। अभ्यास के संगे गायन के प्रस्तुति खातीर छोट-बड़ मंच उपलब्ध रहे।
1996 में मंडल स्तर पs आयोजित संगीत नाटक अकादमी के बाल वर्ग में लखनऊ के संगीत नाटक अकादमी में पहिला बेर भाग लिहली जवना में इनकरा के तीसरा स्थान मिलल रहे। 1997 में युवा विकास मंच देवरिया में आयोजित एगो खुले क्लास गायन प्रतियोगिता में पहिला स्थान मिलल।
शास्त्रीय संगीत सीखत घरी लोक संगीत के ओर झुकाव हो गइल, एह दौरान ऊ कई गो स्थानीय प्रतियोगिता में भाग लिहली आ बेहतरीन पद मिलल।
2014 में श्री अभिषेक त्रिपाठी जी से बियाह हो गइल, बियाह के बाद कुछ समय दिल्ली में रहली, जहां उ शास्त्रीय आ लोक कला में आपन पढ़ाई जारी रख ली। एही बीच स्कूल के लइकन के संगीत के शिक्षा भी दिहली। 2017 में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में दिग्विजय नाथ एल.टी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोरखपुर में नियुक्ति भइल।
अखिल भारतीय रेडियो आ दूरदर्शन खातिर गीतन के रिकार्डिंग जारी रहल। 2019 में आयोजित गोरखपुर महोत्सव में लोकगीत प्रस्तुत करे के मउका मिलल। अगस्त 2021 में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद गोरखपुर यात्रा के दौरान संस्कृति विभाग के ओर से आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में लोकगीत प्रस्तुत कईली।
एह संस्थानन में आयोजक के रूप में रहली
*पुरुषार्थ संस्था रोटरी क्लब गोरखपुर ।
*बाल स्वर बाल सम्मान समारोह।
*जनपद शिक्षा कल्याण संघ गोरखपुर ।
*महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद।
*संगीत नाटक अकादमी।
*ललित कला संगीत विकास परिषद ।
*स्वर भारती मानस संघ।
*सन रोज संस्थान।
*दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या ।
गायन के क्षेत्र में मिलल पुरस्कार
सन 2002 में प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संगीत प्रभाकर के उपाधि, सन 2003 में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के ओर से राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय युवा महोत्सव घूमर में भोजपुरी लोकगीत खातीर प्रथम पुरस्कार , 2005 में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर में आयोजित उत्तर प्रदेश अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव में द्वितीय पुरस्कार, 2006 में हजारीबाग के बिना भावे विश्वविद्यालय में आयोजित पूर्वी क्षेत्र अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव में द्वितीय पुरस्कार, 2007 में ललित कला संगीत विभाग में सर्वोच्च अंक खातीर राज्यपाल द्वारा स्वर्ण पदक अउरी अइसन कइगो सम्मान मिलल।
हृदया त्रिपाठी भोजपुरी में यायावरी वाया भोजपुरी के बैनर तले बनल ‘“टिकुली से टिकुली” में अपनी आवाज से प्रशंसक के दिल जितले बाड़ी, जेकरा के लोग बहुत प्यार आ दुलार देले लो।
जबो मौका मिलेला त समय-समय पs लोकगीत पs आधारित सगरी कार्यशाला में भाग ले के कुछ ना कुछ सीखे के कोशिश करेली। वर्तमान में लोकगीत के एलबम खातिर डॉ. राकेश श्रीवास्तव आ यायावरी वाया भोजपुरी संस्था के निर्देशन में गावत बाड़ी।
Comments are closed.