गोरखपुर विश्वविद्यालय: आउटसोर्सकर्मियन के पीएफ अंशदान में घपला, 600 से जादा कर्मचारी प्रभावित
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में करोड़ों रुपिया के भविष्य निधि (पीएफ) में जिम्मेदार लोग के ओर से करीब 600 आउटसोर्स शिक्षक, कर्मचारी अवुरी सफाईकर्मियन के गबन भईल बा। विश्वविद्यालय के ओर से भविष्य निधि विभाग के कवनो रिकॉर्ड नईखे दिहल गईल।
पीएफ विभाग अब एह अंशदान जमा करे खातिर विश्वविद्यालय के प्रधान नियोक्ता बनावे के फैसला कइले बा। पांच साल के पीएफ योगदान के कटौती के हिसाब-किताब मांगल जाई। जल्दिए विश्वविद्यालय के नोटिस दिहल जाई।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में दस करोड़ से अधिका के आउटसोर्स कर्मचारियन के भविष्य निधि के दुरुपयोग के मामिला पिछला साल अक्टूबर में पकड़ाइल रहुवे। कुलपति प्रो. राजेश सिंह जब जांच करावे लगले त पता चलल कि पछिला 16 साल से आउटसोर्स कर्मचारी के पीएफ फंड के योगदान नियमित रूप से जमा नईखे होखत।
इ रकम कागज पs जमा होत रहल बा। ए मामला में कुलपति एगो समिति बनवले। प्रारंभिक जांच में पावल गईल कि साल 2006 में एजेंसी के माध्यम से आउटसोर्स के रूप में कर्मचारी के तैनात कईल गईल रहे। साल 2022 ले तीन एजेंसी के ठेका दिहल गईल।
सभे कर्मचारी के दिहल मानदेय से पीएफ के हिस्सा कटौती क लेले, लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि में ना जमा कईले। हालांकि जब मामला सामने आईल त ए बीच एजेंसी कुछ लोग के पीएफ जमा क देलस।
एकरा संगे खुलासा के गंभीरता से लेके पीएफ आयुक्त जांच शुरू क देले। जांच में पाता चलल कि सिर्फ कर्मचारी ना, सेल्फ फाइनेंस कोर्स खातीर तैनात शिक्षक, गेस्ट हाउस के कर्मचारी, निर्माण फर्म के मजदूर के पीएफ जमा करे के कवनो रिकॉर्ड नईखे। एकरा खाती पीएफ विभाग एगो चिट्ठी जारी क रिपोर्ट मांगलस, लेकिन विश्वविद्यालय के ओर से एकर कवनो विवरण नईखे दिहल गईल।
अब पीएफ विभाग कड़ाई से काम करे जा रहल बा। विभाग के अधिकारी के कहनाम बा कि शिक्षक-कर्मचारी चाहे मजदूर केहु होखे, जेकरा खातीर भुगतान भईल बा, ओकर पीएफ योगदान जमा होखे के चाही। विभाग से रिकार्ड मांगल गइल बा। अब विश्वविद्यालय के प्रधान नियोक्ता बनावल जाई।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के आयुक्त शशांक जायसवाल कहले कि सभ आउटसोर्स कर्मचारी के पीएफ योगदान गोरखपुर विश्वविद्यालय में जमा होखे के चाही। एकरा खातिर हम एगो अधिकारी के नियुक्ति कईनी अवुरी जांच के आदेश देनी। जांच रिपोर्ट भी आ गईल बा। एकरा प जल्दिए कार्रवाई कईल जाई।
साल 2021 में कुलपति प्रो. राजेश सिंह आउटसोर्स कर्मचारी के तैनाती के जगह के जांच शुरू क देले। जब भारी गड़बड़ी भईल त उ कर्मचारी के फाइल बुलवा देले। जांच में पता चलल कि कर्मचारी के पीएफ हिस्सा जमा ना होखत रहे। एकरा बाद साल 2006 ले के फाइल के जांच भईल अवुरी मामिला हर जगह संदिग्ध पावल गईल।
कागज पs जमा राशि देखावल गईल अवुरी एजेंसी के भुगतान कईल गईल, लेकिन कर्मचारी के खाता ना खुलल। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 264 कर्मचारी तैनात बाड़े। सबके रेगुलर पीएफ जमा नइखे होत। अब कुलपति पूरा एपिसोड के जाँच करे के कड़ा निर्देश दे दिहले बाड़न।
राजभवन जांच के निर्देश देले रहे आ फाइल दबा दिहल गईल। आईटीआई के कार्यकर्ता उग्रसेन सिंह साल 2019 में राजभवन के चिट्ठी लिख के सेवा प्रदाता फर्म पs कर्मचारी के पीएफ योगदान जमा करे में घोटाला के आरोप लगवले रहले। बतावल जाता कि 248 कर्मचारी के वेतन विश्वविद्यालय प्रशासन के ओर से जेजे के औद्योगिक सुरक्षा प्राइवेट लिमिटेड के दिहल गईल बा। एजेंसी मात्र 191 कर्मचारी के पीएफ योगदान जमा कईले बिया। एकर संज्ञान लेके राजभवन से जांच के आदेश दिहल गईल। समिति के गठन भी भईल, लेकिन जांच पूरा ना भईल अवुरी मामला के दबा दिहल गईल।
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