शाहिद, अलीगढ़ जइसन फिल्‍मन  के बना चुकल हंसल मेहता  एक  हाली फेरु से  संवेदनशील विषय के चुनले बाड़े । उनका इ फिल्‍म बनावे  के आइडिया फिल्‍ममेकर महेश भट्ट से मिलल रहे | फराज के जरिए एकही मजहब के दो लोगन  के  विचारधारा  के टकराव के  देखावे के प्रयास कइल गईल  बा ।

हालांकि, रितेश शाह, कश्‍यप कपूर आ राघव राज कक्‍कड़ के कलम  से लिखित कहानी में कई गो  सवाल के जवाब नइखे दे पावल । फिल्‍म के  शीर्षक भलहीं फराज  बा , बाकिर कहानी फराज से ज्‍यादा निब्रस के लागत बिया । फराज के किरदार के  ज्‍यादा एक्‍सप्‍लोर नइखे  कइल गईल । मए बंधक चुपचाप बइठल रहत बाड़े । केहू  वाश रूमो जाए खातिर तक ले नइखे  कहत।

बस फराज के  दोस्‍त के  मोबाइल बाजेला अउरी केहू के ना । ओहिजे  निब्रस के  व्‍यवहारो  बड़ा अजीबोगरीब देखावल गईल बा । बहरहाल विचारधारा  के टकराव के एहिजा बड़ा मुखर तरीका से देखावे मवका रहे , बाकिर ओकरा में   लेखक आ  निर्देशक पूरा  तरह खरा  नइखन  उतर पावल लो ।

कहानी कैफे पs  भईल हमला तक में ही बस सिमट जाले । अइसना में उ कवन युवा लोग रहे , इनकर ब्रेनवाश कइसे  कईल गईल ? धर्म के नाम पs  एह लोग के बरगलाना आसान काहें  होला ? अइसन तमाम मुद्दन के पाचे छोड़ दिहल गईल बा जनता के सोझा  मुद्दन के  इ फिलिम केनियो से छुअत नइखे । संवाादो  बहुत दमदार नइखे  बन पावल । हालांकि, धर्म के नाम पs निर्दोष लोगन के एह तरे  हत्‍या देख के करेज एक हाली काँप जात बा ।

एह  फिल्‍म से शशि कपूर के पोता आ  कुणाल कपूर के बेटा  जहान कपूर बॉलीवुड में  डेब्‍यू कइले बाड़े । भव्‍य लॉन्चिंग से हट के एगो अलगा तरह के फिलिम  से अ‍पना  अभिनय के  सफर के आगाज कइले  बाड़े । फराज के  भूमिका में उनकर पहिला प्रयास सराहनीय बा । हालांकि, उ अपना क्राफ्ट पs  आगे बहुत मेहनत करे के पड़ी।

एह फिल्‍म के  खास आकर्षण अभिनेता परेश रावल के बेटा आदित्‍य रावल बाड़े । उ अपना  किरदार के बहुत शिद्दत से जीअले  बाड़े ।  एगो टीम लीडर के तौर पs आतंकी के  क्रूरता, धरम के सोच के  उ अपना  किरदार के जरिए समुचित तरीका से चित्रित कइले बाड़े ।

फराज के  माई के  भूमिका में जूही बब्‍बर के  कुछ दमदार सीन मिलल बा। ओकरा में उ एकदम  खरा  उतरल बाड़ी। फराज के  अर्थ होला ऊंचाई। ई फिल्‍म अपना  मकसद के  ऊंचाई के  हासिल करे  में चूक जात बीया।

प्रमुख कलाकार: जहान कपूर, आदित्‍य रावल, जूही बब्‍बर, सचिन लालवानी, जतिन सरीन, पलक लालवानी।

निर्देशक: हंसल मेहता

अवधि: 110 मिनट

स्‍टार: दो