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Ph.D खातिर समय सीमा भइल 6 साल, UGC लगवलस डिस्टेंस और ऑनलाइन स्टडी पs रोक, जानीं नयका नियम

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पीएचडी खातिर यूजीसी नयका निर्देश जारी कs दिहले बा, जेमें अधिकतम छह साल के घोषणा कइल गइल बा। एकरे सथही अब यूजीसी पर सवाल उठे लागल बा, काहेसेकि कोरोना काल के दू साल के ले के नयका नियम में कौनो प्रावधान नाइ कइल गइल बा। अइसे में छात्र राजनीति गर्मा सकsता। यूजीसी ऑनलाइन अउर डिस्टेंस स्टडी पर रोक लगा दिहले बा, लेकिन युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के ओर से पीएचडी खातिर जौन नयका गाइडलाइन जारी कइल गइल बा, एकरे तहत पीएचडी डिग्री कोर्स में एडमिशन डेट से छह साल तक के समय दिहल जाई, लेकिन एहमें कोरोना काल के छुटल दू साल के जिक्र नइखे।

एकरे अलावा महिला के दू साल के छूट देवे के बात कइल जा रहल बा। लेकिन मेडिकली परेशान रिसचर्स के कौनो राहत नाइ दीहल जा रहल बा। हालांकि, यूजीसी के मानल बा कि नयका नियम से निम्मन स्टूडेंट के फायदा होई, लेकिन ई बात भी साफ बा कि नयका नियम में विरोध के कई कारण भी हो सकsता। नयका नियम के तहत महिला अउर दिव्यांगन के दू साल के छूट दीहल जाई। उहवें नौकरी कs रहल कर्मचारी या अध्यापक पार्टटाइम पीएचडी कs सकीं। पहिले इनके पीएचडी करे के स्टडी लीव लेवे के पड़त रहे। उहवें अब नयका नियम के तहत अगर कौनो पीएचडी रिसर्चर री-रजिस्ट्रेशन करावला तब अइसन स्थिति में ज्यादा से ज्यादा दू साल के अतिरिक्त समय दिहल जाई।

लॉकडाउन के ले के उठ रहल बा सवाल

एकरे शर्त ई होई कि पीएचडी कार्यक्रम पूरा करे के कुल अवधि पीएचडी के एडमिशन डेट से आठ साल से बेसी नाइ होखे के चाहीं। लेकिन एह आठ साल में रजिस्ट्रेशन करे वालन के कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन के ले के सवाल उठ रहल बा, यूजीसी पीएचडी खातिर नियम बनवले बा अउर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय वर्ष 2018 में ही लागू कs दिहले रहे, लेकिन ओ नियम में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय पीएचडी में छह साल के नियम 25 अक्टूबर 2017 के कोऑर्डिनेशन कमेटी के पारित कs दिहलस जौन निर्रथक रहल। इसके बाद 4 दिसंबर 2017 के कार्यपरिषद के बैठक कर एके लागू भी कs दिहल गइल।

महिला लोग के मिलल खास छूट

एह नियम के तहत इहो प्रावधान रहल कि अगर कौनो विद्यार्थी कौनो कारण से डीआरसी में सम्मिलित नइखे हो पावत त फिर 6 महीने के अंदर डीआरसी के बैठक बुला के रिसर्च सब्जेक्ट स्वीकृत कइल जाव। हालांकि, नियम पर उठ रहल सवाल से परे बात कइल जाव त यूजीसी के नयका नियम के तहत महिला लोग के काफी सुविधा मुहैया करावल गइल बा। पीएचडी कर रहल महिला के अगर शादी हो जाता अउर ऊ किसी दूसरे शहर में चल जाताड़ी, त एह स्थिति में कौनो संस्थान से पीएचडी कोर्स जारी रख सकतड़ी। एकरे खातिर उनके अनुमति दीहल जाई। साथही उनके बार-बार पीएचडी कोर्स पूरा करे खातिर अपने शहर नाइ भागे के पड़ी।

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