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टीपू सुल्तान के ऊपर लिखल किताब के बिक्री पर अदालत लगवलस रोक, मुसलमानन के भावना आहत करे के आरोप

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कर्नाटक के एगो अदालत टीपू सुल्तान पर लिखल गइल किताब के बिक्री अउर वितरण पर रोक लगा दिहलस। बेंगलुरु के अतिरिक्त नगर दीवानी अउर सत्र न्यायालय जिला वक्फ बोर्ड समिति के पूर्व अध्यक्ष बी एस रफीउल्ला के याचिका पर सुनवाई करत मंगर के ई फैसला दिहनें। याचिका में पुस्तक में टीपू सुल्तान के बारे में गलत जानकारी देवे के आरोप लगावत एकर बिक्री पs रोक लगावे के मांग कइल गइल बा।

ऑनलाइनो नाइ बांट सकल जाई किताब : अदालत

अदालत रंगायन के निदेशक अडांडा सी करियप्पा द्वारा लिखित पुस्तक ‘टीपू निजा कनसुगालु’ के बिक्री पर रोक लगावे खातिर ओकरे लेखक अउर प्रकाशक अयोध्या प्रकाशन अउर मुद्रक राष्ट्रोत्थान मुद्राालय के अस्थायी निषेधाज्ञा जारी कइलें। अदालत अपने आदेश में कहलस, “प्रतिवादी एक, दू, तीन अउर उनके माध्यम से चाहे उनके तहत दावा करे वाले व्यक्तियन अउर एजेंट के अस्थायी निषेधाज्ञा के जरिये कन्नड़ भाषा में लिखल पुस्तक ‘टीपू निजा कनसुगालु’ (टीपू के असली सपने) के ऑनलाइन मंच सहित दूसर कौनो भी माध्यम पर बेचे चाहे बाटे से रोकल जाsता।

किताब में मुसलमानन खातिर अपमानजनक शब्द के इस्तेमाल: रफीउल्ला

रफीउल्ला अपने याचिका में दावा कइले रहनें कि पुस्तक में गलत जानकारी प्रकाशित कइल गइल बा, जौन इतिहास द्वारा न त समर्थित बा अउर न ही उचित ठहरावल गइल बा। रफीउल्ला इहो कहले बानें कि पुस्तक में इस्तेमाल ‘तुरुकारु’ शब्द मुस्लिम समुदाय खातिर एगो अपमानजनक शब्द ह। ऊ दलील दिहलें कि एह पुस्तक के प्रकाशन से बड़ पैमाना पर अशांति फइले अउर सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा होखले के आशंका बा।

अदालत लगा दिहलस रोक

रफीउल्ला के दलीलन के स्वीकारत अदालत कहलस कि अगर पुस्तक के सामग्री झूठ बा अउर एहमें टीपू सुल्तान के बारे में गलत जानकारी दीहल गइल बा, अउर जदि एके बाँटल जाला, त एसे वादी के अपूरणीय क्षति होई अउर सांप्रदायिक शांति अउर सद्भाव के भी भंग होखले के आशंका बा। अदालत कहलस कि अगर मामिला में प्रतिवादियन के पेश भइले बिना किताब बाँटल जाsता त याचिका के उद्देश्य ही नाकाम हो जाई। ई सबके पता बा कि विवादास्पद किताब केतना तेजी से बिकsता। लिहाजा एह स्तर पर निषेधाज्ञा आदेश जारी कइले में सुविधा संतुलन वादी के पक्ष में बा।

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