आस्था के महा पर्व छठ के धार्मिक महत्व के खास बा। 5 नवम्बर से शुरू भइल ई महोत्सव 8 नवम्बर ले चले वाला बा. काल्हु से छठ पूजा नहाय खाय से शुरू भइल आ आजु 6 नवम्बर बुध के दिने दुसरका दिन यानी खरना मनावल जा रहल बा. पंचांग के अनुसार खरना कार्तिक महीना के शुक्ल पक्ष के पांचवा दिन मनावल जाला। खरना के दिन व्रत के बाद साँझ के प्रसाद बनावल जाला। प्रसाद बनवला के बाद सूर्य भगवान के पूजा कईल जाला अवुरी इs प्रसाद उनुका के चढ़ावल जाला। अइसना में जानीं कि आज खरना के शुभ समय का बा आ खरना प्रसाद के तइयारी कइसे होला.
शुभ समय आ खरना के प्रसाद
खरना के शुभ समय आजु साँझ 5.29 बजे से 7.48 बजे ले रही. एह शुभ समय में खरना पूजा कइल जा सकेला।
खरना प्रसाद बनावे खातिर माटी के चूल्हा तैयार करे के परंपरा बा। एह दिन चूल्हा पs आम के लकड़ी से आग जरावल जाला। एकरा बाद गुड़ आ चाउर के खीर बनावल जाला। खीर बनावे के संगे रोटी गेहूं के आटा से बनावल जाला। छठी मइया के चढ़वला के बाद ई गुड़ के खीर आ रोटी खाइल जाला आ खरना के पूजा कइल जाला।
सूर्य भगवान के अर्घ्य कइसे दिहल जाला
छठ पूजा में भगवान सूर्य के अर्घ्य देवे के समय कुछ बात के ध्यान में राखल जरूरी बा। नदी के पवित्र जल के लोटा में लेके भगवान सूर्य के अर्घ्य दिहल जाला। एह पानी में दूध, लाल चंदन, अक्षत, फूल आ कुश के मिलावल जाला। एकरा बाद सूर्य भगवान के मंत्र के जप करीं।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ नमो भास्कराय नमः
उपरोक्त मंत्र के जप भगवान सूर्य के अर्घ्य के अर्पित करत घरी कइल जा सकेला। एकरा बाद लोटा के जल से सूर्य देवता के सोझा ले आवल जाला आ अर्घ्य दिहल जाला। अर्घ्य के समय भक्त भगवान सूर्य के आशीर्वाद खातिर फल के टोकरी आ प्रसाद के सामने रखेले। एकरा बाद सांझ के अंतिम किरण के अर्घ्य देके सांझ के पूजा पूरा हो जाला।