दाल रोटी खाएब, भगवान के गुणगान गाएब! अगर रउवा अईसन सोचत बानी तs पहिले दाल अवुरी रोटी के क्वालिटी के जांच करीं। जवन दाल हमनी के पूरा उराद समझ के खा रहल बानी जा, असल में पूरा मूंग हs आ उहो रंगीन। एही तरे अरहर अवुरी मसूर के भी पॉलिश रंगल जाला, जवना से स्वस्थ के बजाय बेमार हो सकता।
विशेषज्ञ के मुताबिक गोरखपुर के बाजार में रोज करीब 15 ट्रक (करीब 400 टन) दाल के खपत होखेला, जबकि एकर उत्पादन एकर दस प्रतिशत तक नईखे। अब पूर्वांचल में दाल के बोवाई खतम भइला के बाद अब दाल के निर्भरता पूरा तरह से मध्य प्रदेश, राजस्थान आ छत्तीसगढ़ पs हो गइल बा.
एकर फायदा उठा के कारोबारी लोग प्रयागराज में आपन अड्डा बना लेले बाड़े। राजस्थान से हल्का आ पाकल फसल सस्ता दर में खरीद के छिलका, रंगाई आ नया पैकेट में डाल देले। व्यापारी पूरा मूंग के रंग लगा के पूरा उड़द में बदल देले। गोरखपुर होत बिहार में भी प्रयागराज दाल के खपत हो रहल बा।
घर-घर में दाल खाइल जाला। एकरा अलावे चना के आटा अवुरी नमकीन बनावे में भी एकर इस्तेमाल होखेला। एकरा चलते खपत भी जादा होखेला। लगातार बढ़त मांग के देखत व्यापारी एकरा में खेले लागल बाड़े। महेवा मंडी से जुड़ल व्यापारी के कहनाम बा कि पहिले कानपुर से दाल आवत रहे, लेकिन अब मध्य प्रदेश के कटनी, इंदौर, जबलपुर इलाका में एगो नाया बाजार पैदा हो गईल बा।
एकरा अलावे प्रयागराज यूपी में ओकर सबसे बड़ केंद्र बन गईल बा। राजस्थान-मध्य प्रदेश से सस्ता दर पर खरीदल होल मूंग ग्रामीण इलाका के छोट मिलर के भेजल जाला आ छंटनी हो जाला. एकरा बाद एकरा के रंगाई-पोताई कs के उड़द दाल बनावल जाला। एही तरे खराब क्वालिटी के तुर दाल के भी पालिश दाल के नाम पs रंग के बेचल जा रहल बा। हर दिन पांच से छह ट्रक भर माल प्रयागराज से गोरखपुर के बीच आवत बा।
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