भइया हो! भोजपुरी लिखs
हिंदी काहे हिनहिनावत बाड़s?
भासा भाव के भेव बुझs
गाय भईंस के सिंघ काहे मिलावत बाड़s
बोललका लिखलका में
भेव काहे भाई
जइसन बोलबs जबानी
ओइसने नू लिखाई
कभी भी के लिखs कब्बो
जब भी के जबे जब के जब्बो
फिर भी आ तब भी हिंदी हs
एकरा के लिखs तब्बो
जब तक आ तब तक में
तक के बदल द ले से
जबले तबले भोजपुरी ह,
लिखाला कहले के
ईल प्रत्यय लागल शब्द में
इल के राखीं धेयान**
स्वर के उतार चढ़ाव
के लिखीं जइसे बा बेयान
किन्तु परन्तु लेकिन के
छोड़ के लिखीं बाकी (र)
यहीं वहीं खतिर
एहिजा ओहिजा राखीं
ही आ भी के परयोग से
भोजपुरी पर हिंदी भारी
एह फेंट फांट के छोड़ीं
भोजपुरी के सुधारीं
मिसिर ही कविता कहीहें
गलत बा उपयोग
मिसिरे कविता कहीहें
सुन्नर बा परयोग
मिसिर भी कविता लिखिहें
हिंदी भोजपुरी के मेराब
मिसिरो कविता लिखिहें
सुंदर सहज बा भाव
गते गते सेंहो सेंहो
भासा बुझीं सरियायीं
बोले पढ़े आ लिखे में
ईचिको जन अझुरायीं
सोजहग सरस पानी के
धार ह भोजपुरी
आपन अलगा भाव लपेटले
पुरवैया बेयार ह भोजपुरी
** भोजपुरी में ‘ईल’ प्रत्यय के मनाही बा। कइल, धइल, गइल, जइसन शब्द में ‘ईल’ के जगह ‘इल’ के परयोग सही ह।
शशि रंजन मिश्र के परिचय
भोजपुरी से गहिराह लगाव राखे वाला शशि रंजन मिश्र जी भोजपुरी साहित्य के दुनिया में जानल-मानल नाम बानी। इहाँ के एगो बाल साहित्य(कविता) पs आधारित किताब “खोंता” सर्वभाषा ट्रस्ट से प्रकाशित हो चुकल बा। मिश्र जी अभी भोजपुरी में अनूदित बाल साहित्य पs काम कs रहल बानी। आखिर पत्रिका के संपादक मण्डल के सदस्य बानी। हास्य-वयंग पs बेजोड़ पकड़ इहाँ के कई गो रचना में लउकेला।