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भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के पुण्यतिथि आजु, पूरा देश कs रहल बा नमन

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आज बाबा साहेब के नाम से लोकप्रिय, भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ अउर समाजसुधारक “बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर” के पुण्यतिथि ह। “बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर” के पुण्यतिथि पर देश उनके याद कs के श्रद्धांजलि दे रहल बा। बता देईं, डॉ. बाबासाहब अंबेडकर दलित बौद्ध आंदोलन के प्रेरित इले रहनें अउर अछूतन (दलितन) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलवले रहनें। उहवें समतामूलक समाज के स्थापना की दिशा में कइल गइल उनकर काम हमेशा देशवासियन के प्रेरित करत रही।

डॉ. भीमराव अंबेडकर के जनम 14 अप्रैल 1891 के महू में सूबेदार रामजी शकपाल अउर भीमाबाई के चौदहवीं संतान के रूप में भइल रहे। उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति के प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, प्रचंड संग्रामी स्वभाव के मणिकांचन मेल रहल। उनकर इहे अद्वितीय प्रतिभा गरहन करे जोग बा।

ऊ एगो मनीषी, योद्धा, नायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी अउर धैर्यवान व्यक्तित्व के धनी रहनें। ऊ अनन्य कोटि के नेता रहलें जे आपन पूरा जीवन समग्र भारत के कल्याण कामना में लुटा देहलें। खासकर भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक अउर आर्थिक तौर से अभिशप्त रहलें। उनके अभिशाप से मुक्ति दियावल डॉ. अंबेडकर के जीवन संकल्प रहल।

संजोग से भीमराव सतारा गाँव के एगो ब्राह्मण गुरु उनका के बहुत पसंद करत रहले। ऊ अत्याचार आ निंदा के गरम धूप में बादल के टुकड़ा नियर भीम खातिर माई के गोदी के छाँव बन गइल लोग। बाबा साहब कहले- वर्गहीन समाज बनावे से पहिले समाज के जातिहीन बनावे के पड़ेला। दलित कठोर मजदूर लोग के आर्थिक मुक्ति समाजवाद के बिना संभव नईखे।

डॉ. अम्बेडकर के रणभेरी एह बात पर गूंजत रहे कि समाज के वर्गहीन आ जातिहीन बनावे के पड़ी। काहे से कि ई विभाजन आदमी के गरीब बना दिहले बा अउर जाति से आदमी के दलित बना दिहले बा। जेकरे लगे कुछुओ नइखे ओकरा के गरीब मानल जात रहे अउरी जेकरा लगे कुछूओ नइखे ओकरा के दलित मानल जात रहे।’

बाबासाहेब संघर्ष के गोहार लगवले कि, छीनल अधिकार भीख मंगले में ना मिलेला, अधिकार के वसूली करे के बा। ऊ कहनें कि ‘वशिष्ठ जइसन ब्राह्मण, राम जइसन क्षत्रिय, हर्ष जइसन वैश्य अउर तुकाराम जइसन शूद्र आपन पूजा के फल के हिन्दू धर्म के महिमा में जोड़नें। उनकर हिन्दू धर्म देवाल में बंद नइखे, बलुक खुलल, सहिष्णु अउर गतिमान बा।

बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड भीमराव अम्बेडकर के मेधावी छात्र के रूप में छात्रवृत्ति देके 1913 में विदेश में उच्च शिक्षा खातिर भेजले रहले।

बाबा साहब अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, दर्शन अउर आर्थिक नीति के गहन अध्ययन कइले रहले। भारतीय समाज के कौनो अभिशाप ना रहे आ जन्म सूत्र से निकलल अछूतता के कालिख रहे। त उनका अमेरिका में एगो नया दुनिया देखाई देहलस।

डॉ. अम्बेडकर अमेरिका में एगो सेमिनार में ‘भारतीय जाति विभाजन’ पर आपन मशहूर शोध पत्र पढ़ले जवना में उनका व्यक्तित्व के हर जगह तारीफ भइल।

डॉ. अम्बेडकर के छोड़ के भारत में भारतीय संविधान बनावे खातिर कवनो दोसर विशेषज्ञ ना रहले। एही से डॉ. अम्बेडकर के सर्वसम्मति से संविधान सभा के मसौदा तैयार करे वाली समिति के अध्यक्ष चुनल गईल। 26 नवम्बर 1949 के डॉ. अम्बेडकर के सुझावल संविधान (315 आर्टिकल के)पारित भइल।

डॉ. अम्बेडकर के लक्ष्य रहे- ‘सामाजिक असमानता के दूर कईल अउर दलित के मानवाधिकार स्थापित कईल’। डॉ. अम्बेडकर तेज आवाज में चेतवले कि 26 जनवरी 1950 के हमनी के टकराव के जीवन में प्रवेश कs रहल बानी जा। हमनी के राजनीतिक क्षेत्र में समानता होई लेकिन सामाजिक अउर आर्थिक क्षेत्र में असमानता होई। हमनी के जल्दी से जल्दी ए विरोधाभास के दूर करे के होई। ना त जे असमानता के शिकार होई ऊ एह राजनीतिक गणतंत्र के संरचना के तबाह कर देईं।

अंबेडकर सुगर से पीड़ित रहलें। 6 दिसंबर 1956 के उनकर मृत्यु दिल्ली में नींद के दौरान उनके घरवे में हो गइल। 1990 में उनके मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित कइल गइल।

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