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बेबाक लेखन शैली के जियतार करत बा बंद कोठरी का दरवाजा -चर्चित लेखिका रश्मि शर्मा के कहानी संग्रह के भइल विमोचन

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रांची : झारखंड के साहित्‍य जगत में आपन खास पहचान स्‍थाप‍ित कs चुकल कहानीकार “रश्मि शर्मा” के पहिला कहानी संग्रह “बंद कोठरी का दरवाजा का” के लोकार्पण आज “डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान”, मोरहाबादी के सभागार में भइल। तीन कविता-संग्रहन के प्रकाशन के बाद बारे कहानियन के एहु संग्रह में रश्मि के बेबाक शैली झलक रहल बा। मालूम होखे कि रश्मि शर्मा के “सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न सम्मान 2020” आ “शैलप्रिया स्मृति सम्मान-2021” मिल चुकल बा। । टीआरआइ मोरहाबादी में अतवार के आयोजित लोकार्पण समारोह में साहित्‍य जगत के स्‍तंभ रवि भूषण, राकेश बिहारी, पंकज म‍ित्र, रणेंद्र के अलावे कइयन गो हस्ती सामिल रहे लो।

सबसे पहिले गत भाषण आ अतिथियन के स्वागत करत शब्द कार के अध्यक्षा वीणा श्रीवास्तव ने एह संग्रह के बारे में बतवली आ ओकरा बाद रश्मि शर्मा आपन साहित्य यात्रा के बारे में सभे के बतावत कहली कि चाचा चौधरी, मधु मुस्कान, चंपक , चंदामामा, से होखत कब ऊ साहित्य से गहिराह तौर परs जुड़ली आ आज उनकर ई यात्रा उनकर एह चउथा संकलन के रूप में सब दर्शकन के सोझा बा।


एह अवसर पs कहानी संग्रह के प्रशंसा करत रवि भूषण कहले, रश्मि शर्मा के धेयान बदलत समे आ यथार्थ के संगे परिवेशो पs बा। आपन कवि आ संवेदनशील मन के संगे ऊ अगरी-कगरी, अलग-अलग जगे स, गाँवबमें जड़ जमवले रूढ़ि-अंधविश्वास डायन-प्रथा, झरिया के कोयला-खदान, भूमि-अधिग्रहण, पुलिस फायरिंग के संगे-संगे संस्कृत पढ़ने वाली नसरीन आ ‘गे’ सबके देखत-समझत बाड़ी।

देश के सुविख्यात कथाकार रणेन्द्र  कविता कहानी आ उपन्यास के अंतर के रेखांकित करत ई बतवले कि कविता कवना तरे के बिम्बन के समायोजन आ संयोजन हs तs ओहिजा कहानी ओकरा से तनिका बेसी फलक पs फइलल रहेला। उ एक तरे दे जिनगी के स्लाइस हs ओहिजा वउपन्यास एक के पूरे फलक के समेटत अइसन माध्यम बा, जेमे जिनगी के


समूचा आयाम अपना विस्तार के संगे प्रकट होला।

लोकार्पण समारोह में प्रकाशित कृति पs बात करत कथाकार आ कथालोचक राकेश बिहारी कहले कि एह अवसर के सबसे बड़ पंच रश्मि शर्मा के खुद के वक्तव्य बा कि ऊ अपना संकलन के संगे अदालत में ना बलुक विद्यालय में खड़ा बाड़ी। अपना बात के आगा बढ़ावत राकेश जी कहले कि रश्मि के कहानियन में स्त्री जीवन के वेयापक संसार के कहानी आ स्त्री के पानी के संगे रिश्ता धरती के संदर्भ में उनका संवेदना के संगे जुड़ल रिश्ता हs आ रश्मि के कहानी क्रमशः उत्तरोत्तर हमें स्त्री की गहराई से लेके ओकर ऊंचाई के पता देले। ऊ रश्मि शर्मा के एह संकलन के मय कहानियन के व्यापक चर्चा करत ऊ कहानियन के बारे में विस्तार से बतवले।

गौर करे लायक बात बा कि  एक दशक ले सक्रिय पत्रकारिता के बाद रांची के बेटी रश्मि शर्मा  पूर्णकाल‍िक रचनात्‍मक लेखन में आपन गोड़ जमवले बाड़ी। नदी काे सोचने दो, मन हुआ पलाश आ वक्‍त की अलगनी पs जइसन कविता संग्रहन से रश्मि लोगन के  दिल जीत चुकल बाड़ी। सीएसडीएस मीडिया इन्‍क्‍लूसिव मीडिया फेलोशिप प्राप्‍त रश्मि के कव गो रचना देश विदेश के पत्र-पत्रिका में नियम‍ स्व प्रकाशित होला।

आयोजन के सुरुआत सरस्वती वंदना से आध्या कइली। स्वागत वक्तव्य वीना श्रीवास्तव, अभिनंदन डॉली कुजारा टॉक  धन्यवाद ज्ञापन नंदा पांडेय के रहल।

कार्यक्रम के संचालन लताश्री कइली।

कार्यक्रम में डॉ माया प्रसाद, वरिष्ठ लेखक डॉ विनोद कुमार, महुआ माँझी, सुनील बादल, अनिता रश्मि, रेणु झा, रेणु त्रिवेदी मिश्रा, असित कुमार, स्नेहा रॉय, नीरज नीर, प्रमोद झा, विनीता परमार, राजीव थेपड़ा, सत्या शर्मा, रीता गुप्ता, सारिका भूषण, प्रशांत गौरव, नीरज नीर, मुक्ति शाहदेव, नवीन शर्मा, कमलेश, हीरा सिंह, दीप्ति भगत, रेणु मिश्रा, नूपुर अशोक, रजनी शर्मा, सोनल थेपड़ा, चिन्मय भारद्वाज, सत्यप्रकाश पाठक, शहरोज़ कमर, सीमा तिवारी, आलोका, सन्ध्या चौधुरी, कामेश्वर सिंह, मृदुल प्रिया, सूरज श्रीवास्तव, प्रवीण परिमल , घनश्याम श्रीवास्तव, मीनू शर्मा मीनल, गीता चौबे, डॉ अभिषेक, नेहाल सैरयावी, कामेश्वर प्रसाद निरंकुश, इमरान उपस्थित रहे लो।

 

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