अयोध्या के हनुमानगढ़ी लड्डू, खुरचन पेड़ा के मिल सकऽता जीआई टैग
उत्तर प्रदेश के मंदिर शहर अयोध्या के कई गो देशी उत्पाद खातिर भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग के जरूरत बा। हनुमानगढ़ी मंदिर के मशहूर लड्डू के संगे-संगे खुरचन पेडा, खड़ाऊ (लकड़ी के चप्पल), टीका आ गुड़ विशिष्ठ जीआई टैग के दौड़ में शामिल भइल बा। ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आ जीआई विशेषज्ञ रजनी कांत उत्पाद खातिर जीआई प्रमाणीन प्रक्रिया के सुविधा देवे में अहम भूमिका निभवले बाड़े। रजनी कांत बतवले कि हनुमानगढ़ी लड्डू के जीआई टैग के आवेदन जनवरी में भइल रहे। जबकि मार्च आ अप्रैल में चार गो अउरी उत्पाद खातिर आवेदन दाखिल भइल रहे।
रजनी कांत बतवले जीआई रजिस्ट्री चेन्नई से आवेदन स्वीकार कऽ लेले बा। उऽ बतवले कि हलवाई कल्याण समिति हनुमानगढ़ी के लड्डू अउरी शहर के खुरचन पेड़ा खातिर आवेदन कइल गइल बा। एकरा संगे-संगे अयोध्या हस्तशिल्प निर्माण कंपनी शहर के अयोध्या खड़ाऊ आ टीका खाती आवेदन कइले बिया। शहर के गुड़ खातिर जीआई प्रमाणीन करावे खातिर अयोध्या गुड़ फाउंडेशन आवेदन कइले बा।
अयोध्या हिन्दू देवता लोग के चढ़ावल जाए वाला मिठाई खातिरो जानल जाला। आवेदन में दिहल विवरण के मुताबिक अयोध्या खुरचन पेड़ा खोया आधारित देशी दूध उत्पाद हऽ। ई देश भर में लोकप्रिय बा। ई खाँटी दूध से बनल परंपरागत भारतीय मिठाई सभ में से एक हवे।
जीआई टैग से का होई फायदा?
जीआई टैग राष्ट्रीय स्तर पs अपना स्वदेशी उत्पाद के दिहल जाला। एकरा पीछे के वजह ओह उत्पाद के बाजार मूल्य बरकरार राखे के बा। वैश्वीकरण के एह दौरान स्वदेशी उत्पादनो के मशीन से बनावल जाए लागल बा। एकरा से एह उत्पादन के निर्माण करे वाला कारीगर बेरोजगार होत चल गइले। स्थानीय लोगन के मशीन आवे से अपना परंपरागत धंधा से दूर जाए के पड़ल। एकरा से लोगन के परेशानी होत रहे। जीआई टैग एगो नांव बा प्रतीक हऽ, जवना के उपयोग कवनो विशेष उत्पाद पs कइल जाला। इ कवनो भौगोलिक भा पुरानी परंपरा से संबंधित हो सकऽता। अइसन उत्पाद जवना के चलन चलल आ रहल होखे तऽ सरकार ओकरा के जीआई टैग सर्टिफिकेट दे देवेले।
Comments are closed.