धर्म डेस्क। आज माने 14 जुलाई के सावन महीना के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि हs। एह दिन सावन के पहिला सोमार व्रत आ गजानन संकष्टी चतुर्थी कइल जा रहल बा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमार व्रत कइला से मनचाहा वर मिलेला। संगही विवाह में आ रहल बाधा से छुटकारा मिलेला। सावन में पहिला सोमार के दिने कइयन गो सुभ योग बनत बा। अइसन में आईं जानल जाव पंचांग (Aaj ka Panchang 14 July 2025) आ सुभ योग के बारे में।
- तिथि: कृष्ण चतुर्थी
- मास पूर्णिमांत: श्रावन
- दिन: सोमार
- संवत्: 2082
- तिथि: कृष्ण चतुर्थी राती 11 बजके 59 मिनट तक
- योग: आयुष्मान सांझ 04 बजके 14 मिनट तक
- करण: बव दोपहरिया 12 बज के 33 मिनट तक
- करण: बालव रात्रि 11 बजके 59 मिनट तक
- सूर्योदय आ सूर्यास्त क समय
- सूर्योदय: सुबह 05 बजके 33 मिनट पऽ
- सूर्यास्त: सांझ 07 बजके 21 मिनट पऽ
- चंद्रोदय: सांझ 09 बजके 55 मिनट पऽ
- चन्द्रास्त: 15 जुलाई के सुबह 08 बजके 53 मिनट पऽ
- सूर्य राशि: मिथुनचंद्र
- राशि: कर्कपक्ष: कृष्ण
सुभ समय अवधि
- अभिजीत: प्रात: 11 बजके 59 मिनट से दोपहर 12 बजके 55 मिनट तक
- अमृत काल: 15 जुलाई के राती 11 बजके 21 मिनट से 12 बजके 55 मिनट तक
असुभ समय अवधि
- गुलिक काल: दोपहरिया 02 बजके 10 मिनट से 03 बजके 54 मिनट तक
- यमगंड काल: प्रात: 10 बजके 43 मिनट से 12:27 मिनट तक
- राहु काल: प्रात: 07 बजकर 16 मिनट से 09 बजे तक
आज के नक्षत्र
- आज चंद्रदेव धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करीहें..
- धनिष्ठा नक्षत्र: प्रात: 06 बजके 49 मिनट तक
- सामान्य विशेषता: आत्मविश्वासी, शक्तिशाली, धैर्यवान, परिश्रमी, प्रसिद्धि, सौंदर्य, धन, कलात्मक प्रतिभा, स्वतंत्र स्वभाव, स्वार्थी, लालची, क्रोधी, विश्वसनीय आ दानशील
- नक्षत्र स्वामी: मंगल
- राशि स्वामी: शनि
- देवता: आठ वसु (भौतिक समृद्धि के देवता)
- प्रतीक: ढोल या बांसुरी
आजू के व्रत आ त्योहार
(पहिला सावन सोमर, गजानन संकष्टी चतुर्थी)
पहिला सावन सोमार
सावन के महीना एह साल 11 जुलाई, सुक से सुरू हो चुकल बा। अबकी बेर सावन में कुल 4 सोमार के व्रत होई। सावन के हर सोमार के भगवान शिव के पूजा आ व्रत रखल बहुत खास मानल जाला। मान्यता बा कि सावन महीना में भगवान शिव धरती पऽ रहेला आ अपना भक्तन के मनोकामना पूरा करेलें। एह साल सावन के पहिला सोमार 14 जुलाई के यानी आज हs।
सावन महीना शिव भक्ति खातिर महत्वपूर्ण होला, बाकिर सावन सोमार के व्रत, पूजा आ शिवलिंग पs जल चढ़वला से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होलें। खासतौर पs कुआर लईकियन खातिर सावन के महीना अच्छा जीवनसाथी पावे के सुनहरा मवका मानल जाला।
पहिला सोमार के पूजा विधि
- स्नान के बाद शिव मंदिर जाईं आ घर पऽ शिवलिंग स्थापित करीं।
- भगवान शिव, माता पार्वती, नंदी आ गणेश जी के पूजा करीं।
- शिवलिंग पऽ गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आ शक्कर से अभिषेक करीं (जदि संभव होखे)।
- फेर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, फल आ मिठाई अर्पित करीं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के 108 बार जप करीं।
- अंतिम में प्रसाद सबमें बांटीं आ परिवार के लोगन के खिलाईं।
गजानन संकष्टी चतुर्थी
हर साल सावन महीना के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि पऽ गजानन संकष्टी चतुर्थी के पर्व मनावल जाला। शास्त्रन के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत कइला से सब कष्टन से मुक्ति प्राप्त होला। एह दिन माता लो गणेश चौथ के व्रत कs के अपना संतान के दीर्घायु आ कष्टन के निवारण के खातिर भगवान से प्रार्थना करेला लो। एह साल गजानन संकष्टी चतुर्थी 14 जुलाई के मनावल जाईं।
चतुर्थी अवधि
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 14 जुलाई प्रातः 01 बजके 02 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समाप्त- 14 जुलाई के रात्रि 11 बजके 59 मिनट तक
गणेश पूजा के विधि
- सबिसे पहिले पूजा के जगह के अच्छा तरह साफ करीं आ उंहवा एगो चौकी रखीं।
- चौकी पऽ लाल कपड़ा बिछाईं आ कलश से थोड़ा जल के फूल के मदद से चौकी पऽ छिड़कीं।
- चौकी के दाईं ओर (आपकी बाईं तरफ) एगो दीपक जलाईं।
- फिर चौकी पऽ थोड़ा से अक्षत (चावल) डालीं आ ओ पऽ गणेश जी के मूर्ति स्थापित करीं।
- फूल से गंगाजल छिड़क के गणेश जी के स्नान कराईं आ फिर फूलन से गणपति जी के सजाईं।
- अब भगवान के हल्दी, कुमकुम, अक्षत आ चंदन से तिलक करीं, आ खुद चंदन क तिलक लगाईं
- गणेश जी के वस्त्र स्वरूप मौली (कलावा) अर्पित करीं।
- फिर धूप आ दीप जलाई आ भगवान गणेश के तिल के लड्डू, फल आ नारियल क भोग लगाईं
- भगवान के सामने अपने श्रद्धा अनुसार दक्षिणा (दान) रखीं
- संकष्टी व्रत के कथा क पाठ करीं आ फिर गणेश जी के आरती करीं।
- रात में चाँद दिखले पऽ पंचोपचार विधि से चंद्रदेव क पूजा करीं आ कलश में दूध-जल मिला के
- चंद्रमा के अर्घ्य देंईं।
- अंत में पूजा पूरा होखला के बाद प्रसाद सब में बांटीं आ खुद प्रसाद लेंईं।
व्रत पारण के विधि
- एह व्रत के पारण राती में चाँद देखले के बाद कइल जाला ।
- जइसही चाँद दिखे, सुद्ध जल, फूल आ अक्षत लेके चंद्रमा के अर्घ्या देंईं।
- चाँद के ध्यान से देखीं आ प्रार्थना करीं के आपके जीवन से सजौ दुख दूर होंई आ हमेशा सुख-शांति बनल रहै।
- एकरे बाद व्रत रखे वाला व्यक्ति फलाहार आ हल्का सात्विक भोजन कइके व्रत खोल सकेला।