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Bihar Teacher: नियोजित शिक्षकन खातिर गुड न्यूज

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पटना : बिहार शिक्षा विभाग के पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लागल बा। बिहार के स्कूलन में नया शिक्षकन के प्रधानाध्यापक बनावे के आदेश पs हाईकोर्ट रोक लगा दिहलस। जज नानी टांगिया किशोरी दास के याचिका के सुनवाई करत इ फैसला देले। कोर्ट 7 अक्टूबर तक शिक्षा विभाग से जवाब मंगले बिया।

इहाँ पढ़ी पूरा मामला

असल में इ पूरा मामला बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के ओर से नियुक्त शिक्षक के स्कूल के प्रभार सौंपला से जुड़ल बा। शिक्षा विभाग 4 सितंबर के आदेश जारी कईले रहे। एह क्रम में कहल गइल कि अगर कवनो स्कूल में बीपीएससी के ओर से नियुक्त शिक्षक बाड़े तऽ उनका के प्रिंसिपल के प्रभार दिहल जाव। एह अधिसूचना के मुताबिक शिक्षा विभाग कहले बा कि बिहार लोक सेवा आयोग के ओर से नियुक्त अइसन शिक्षक, जेकर अनुभव मात्र एक साल के बा, उनका के हेडमास्टर बनावे के बात कहल गइल।

नियोजित शिक्षकन के अनुभव 15 साल से अधिक

याचिकाकर्ता किशोरी दास के पक्ष में पेश अधिवक्ता जैनुल आबेदीन अदालत में बतवले कि बीपीएससी के ओर से शिक्षक के नियुक्ति के मात्र एक साल हो गइल बा। जबकि नियम के मुताबिक प्रिंसिपल बने खातिर कम से कम आठ साल के अनुभव होखल जरूरी बा। याचिकाकर्ता अदालत में बतवले कि माध्यमिक विद्यालय में काम करेवाला शिक्षक, जिनकर अनुभव पंद्रह से बीस साल बा, ओकरा से प्रभारी हेडमास्टर के पद वापस ले के बिहार लोक सेवा आयोग के ओर से नियुक्त शिक्षक के एक साल खाती देवे के कहल गइल बा।

रिजल्ट घोषित होखला के बाद भर जाई प्रिंसिपल के पद 

उऽ आगे कहले कि शिक्षा विभाग अइसन शिक्षक के प्रधानाध्यापक बनावे जा रहल बा, जेकर अनुभव मात्र एक साल के बा। दूसर ओर 15-20 साल के अनुभव वाला शिक्षक से प्रिंसिपल के पद छीन लिहल जाता। वकील अदालत के इहो बतवले कि सरकार प्रधान पद पs नियमित नियुक्ति खातिर परीक्षा आयोजित कइले बिया। बाकिर एकर नतीजा अबहीं तक नइखे आइल। रिजल्ट घोषित होखला के बाद सभ स्कूल में प्रधानाध्यापक के पद अपने आप भर जाई।

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