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‘भोजपुरी साहित्य आ संस्कृति’ विषय पऽ वातायन संगोष्ठी-201 के विशेष आयोजन

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लंदन, 05 अगस्त, 2024: विश्व-प्रसिद्ध साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘वातायन-यूके’ के एगो महत्त्वपूर्ण संगोष्ठी दिनांक 04 अगस्त, 2024 के आयोजित कइल गइल। एह संगोष्ठी के विषय रहे -‘भोजपुरी साहित्य आ संस्कृति’। एह ऑनलाइन संगोष्ठी के सूत्रधार रहली, लंदन के सुविख्यात साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर जबकि सह-संयोजक रहली सिंगापुर के सुप्रसिद्ध लेखिका-डॉ. संध्या सिंह जे कार्यक्रम के विधिवत शुरुआत करत घरी सब प्रतिभागी साहित्यकारन के मंच पऽ अभिवादन कइली। संगीत, ललित कला आ साहित्य में विशेष अभिरुचि राखे वाला सिंगापुर के श्री रत्नेश पाण्डे भोजपुरी भाषा में ईश्वर वंदना करत मंच के संचालन कइलें।

मॉरीशस में हिंदी आ भोजपुरी के प्रचारक-प्रसारक आ वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सरिता बुद्धू सुश्री दिव्या माथुर के साथे लंदन में पिछला बरिस आयोजित भारोपीय हिंदी सम्मेलन में भइल मुलाक़ात पऽ खुशी जाहिर कइली। उऽ ब्रिटिश काल में बिहार, बंगाल, उड़ीसा अउरी उत्तर प्रदेश से सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना, फिजी, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका जइसन देशन में गिरमिट आ मज़दूर के रूप में प्रवासित भारतीयन के बारे में बतवली जेकरा प्रवास में आपन संस्कृति, भाषा अउरी आपन भोजपुरी भाषा के प्रसार आ सुरक्षण खातिर बहुते संघर्ष करे पड़ल। उऽ बतवली कि ए तरे 200 वर्षों के संघर्ष के पश्चात भोजपुरी भाषा, पालि आ संस्कृति से उतरत घरी ना खाली भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में छा गइल। आज भोजपुरी में कविता अउरी गद्य के सब विधा में प्रचुर साहित्य लिखल जा रहल बा। दूरदर्शन के ऐंकर, स्क्रिप्ट राइटर आ लोक कलाकार सृष्टि शांडिल्य एगो भोजपुरी शिव भजन ‘बसहा चढ़ल एगो जोगिया’ के सुमधुर गायन से आपन उपस्थिति दर्ज़ कइली। उऽ कहली कि सावन शिव-आराधना के महीना हऽ आ एह मौसम में शिव के स्मृति के सहेजल जाला।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में भोजपुरी आ जनपदीय अध्ययन केंद्र में समन्वयक प्रो. प्रभाकर सिंह कहले कि भोजपुरी, मगही, ब्रज, अवधी, मैथिली, राजस्थानी जइसन भाषा मिलकर हिंदी भाषा ले निर्माण करेली सन। बाकिर, एह भूमिका में भोजपुरी भाषा के विशेष महत्त्व बा। उऽ कहले कि भोजपुरी भाषा आ साहित्य के काहे ना मुख्य धारा के भाषा के रूप में पढ़ल जाव। आगे उऽ कहले कि भोजपुरी के डायस्पोरा के एकरा साहित्य आ भाषा के वैश्विक पटल पs लिआवे के चेष्टा करे के चाहीं। बीएचयू में इस्थित उनका केंद्र के इहे प्रयास बा। भोजपुरी के रंगो मैथिली आ अवधी भाषा के साथे देखे के चाहीं। भोजपुरी के बेहतर विकास खातिर एकरा साहित्य आ भाषा के अंग्रेज़ी आ हिंदी के साथे लिआवे के चाहीं।

भोजपुरी के गीतकार सोनु किशोर आपन संघर्षपूर्ण जीवन के अनुभव के साझा करत घरी एगो भोजपुरी लोरी ‘आजो रे निनिया, माई के अंचरवा जस’ गा के सबकर मन मोह लेले। संगोष्ठी के महत्त्वपूर्ण चरण पs, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय प्रभाग के निदेशक, प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव अपना अध्यक्षीय वक्तव्य में कहले कि इ कहल कतना नीमन लागऽता कि भोजपुरी भाषा आ साहित्य के उपस्थिति ना खाली में बा, बल्कि फिजी, मॉरीशस आ बाहर के कई गो देशन में बा। इ बहुते बड़हन बात बा कि भोजपुरी अपना आँचर से निकल के बाहरो के देशन में लोकप्रिय बिया। भोजपुरी के साथे उनकर बचपन के याद जुड़ल बा। हमनीं के एह बात पs विचार करे के चाहीं कि वियाह शादी जइसन उत्सव में जवन भोजपुरी रंग छपले रहत रहे, उऽ कहाँ हेरा गइल बा। उऽ बतवले कि वइसे तऽ शारदा सिन्हा, भरत व्यास, मनोज तिवारी जइसन भोजपुरी रचनाकार आ गायक भोजपुरी के सहेज के रखले बा, बाकिर भोजपुरी भाषा आ साहित्य के उत्थान खातिर अबहियों बहुत कुछ करे के बा। अइसे तऽ भोजपुरी के क्षेत्र बहुत विशाल बा बाकिर अबहियों एको भोजपुरी अखबार के प्रकाशन नइखे भइल। उऽ भोजपुरी प्रवासियन के प्रति आभार प्रकट कइले की उऽ आजो एकरा प्राण के बचवले रखले बाड़े।

एह संगोष्ठी में एगो दिलचस्प बात इ रहे कि कार्यक्रम के संपूर्ण प्रस्तुति भोजपुरी भाषा में कइल गइल ।वक्ता लो के वक्तव्यो भोजपुरिए में दिहल गइल।

कार्यक्रम के समापन डॉ. संध्या सिंह के ओर से संगोष्ठी के अध्यक्ष समेत, सब प्रतिभागी वक्ता लो, साहित्यकारन, गीतकारन आ गायकन के प्रति धन्यवाद ज्ञापन से भइल। श्रोता-दर्शकन में देश-विदेश के साहित्यकार आ विद्वान उपस्थित रहे जवन उल्लेखनीय बा: प्रो. तोमियो मिज़ोकॉमी, यूरी बोत्विंकिन, आशा बर्मन, पांडे सरिता, सोनु किशोर आदि।

डॉ. संध्या सिंह ज़ूम आ यूट्यूब से जुड़ल श्रोता-दर्शकन के प्रतियो आभार व्यक्त कइली। इस ऑनलाइन कार्यक्रम के निर्विघ्न प्रसारण में विशेष सहयोग देले, तकनीकी विशेषज्ञ श्रीकृष्ण कुमार।

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