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जदि साहित्यिक चोरी भइल बा तऽ कुछ सेकेंड के भीतर पकड़ ली एआई

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गोरखपुर एमएमएमयूटी में मास्टर्स आ पीएचडी के विद्यार्थी कवनो हालत में साहित्यिक चोरी ना कर पइहें। जदि शोध प्रबंध में एको गो वाक्य कवनो माध्यम के माध्यम से मिलऽता तऽ ओकरा के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पकड़ ली। एकरा खातिर विश्वविद्यालय टर्निटिन के नवीनतम सॉफ्टवेयर अपना लिहले बा।

पीएचडी में थीसिस सैकड़न पन्ना में लिखे के पड़ेला। अकसर सामग्री कहीं से संदर्भ के रूप में उठावल जाला। बाकिर कई बेर विद्यार्थी सामग्री चोरा लेत बाड़े। ऑनलाइन जांच आ कड़ा नियम के चलते अब साहित्यिक चोरी के मामला में काफी कमी आइल बा। एमएमएमयूटी में मास्टर्स में शोध प्रबंध लिखे के पड़ेला। एमें कई जगहा से विद्यार्थियन के स्मार्ट तरीका अपनावे के शिकायत मिलल। एकरा खातिर बहुत संख्या में छात्र चैट जीपीटी के इस्तेमाल कइले।कवनो विद्यार्थी के साहित्यिक चोरी से बचावे खातिर एमएमएमयूटी एआई आधारित टर्निटिन सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल शुरू कर दिहले बा।

एकरा के खुद प्राथमिक स्तर प पकड़ल जाई:

छात्र, आपन शोध प्रबंध भा शोध प्रबंध लिखला के बाद, संबंधित शिक्षक के सोझा पेश करेले। एमएमएमयूटी हर शिक्षक के टर्निटिन सॉफ्टवेयर के लॉगिन-पासवर्ड देले बा, ताकि उऽ लोग एकर जांच कऽ सकस

साहित्यिक चोरी रोके खातिर एआई आधारित टर्निटिन सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल शुरू कर दिहल गइल बा। जदि कवनो पीजी भा पीएचडी के विद्यार्थी साहित्यिक चोरी करे के कोशिश करी तऽ ओकरा के प्राथमिक स्तर पऽ पकड़ल जाई।

प्रो. जेपी सैनी, कुलपति 

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